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उगते हुए सूर्य देव को अर्घ देकर छठ पूजा का हुआ समापन,

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उगते हुए सूर्य देव को अर्घ देकर छठ पूजा का हुआ समापन,

 

 

शुक्लागंज के गंगा तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने छठ पूजा पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में छठ का विशेष महत्व है। छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे 4 दिन तक चलता है। नहाए खाए से इसकी शुरुआत होती है , जोकि डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ देकर समाप्त होती है।

 

यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चइत में और दूसरी बार कार्तिक मे। 

 

चैत्र शुक्ल पक्ष छठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। परिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है। माता सीता ने भी सूर्य देव की पूजा की थी। इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं एक मान्यता के अनुसार जब राम सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि मुनियों के आदेश पर राज सूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया पूजा के लिए उन्होंने मुद्दल ऋषि को आमंत्रित किया । मुद्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को सूर्य की उपासना करने का आदेश दिया इससे सीता ने मुद्दल ऋषि के आश्रम में रहकर 6 दिनों तक सूर्य देव भगवान की पूजा की थी सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान का सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त किया था महाभारत काल से हुई थी छठ पर्व की शुरुआत हिंदू मान्यता के मुताबिक कथा प्रचलित है कि शुरुआत महाभारत काल से हुई थी इस पर्व को सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था कहा जाता है कि करण भगवान सूर्य के परम भक्त थे वह रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें रख देते थे सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने आज भी छठ में अर्ध दान की यही परंपरा प्रचलित है।

 

इंडियन टीवी न्यूज़ बबलू सविता डिस्ट्रिक्ट रिपोर्टर शुक्लागंज उन्नाव

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