Follow Us

उमरिया – जैव विविधता केंद्र ताला के ईको सेंटर में दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ*

*जैव विविधता केंद्र ताला के ईको सेटर में दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ*

उमरिया – मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व विन्सेंट रहीम ने बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत जैव विविधता प्रशिक्षण केन्द्र ताला स्थित ईको सेंटर में 27 अगस्त .2021 से अखिल भारतीय बाघ आंकलन 2022 से संबंधित दो दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व उमरिया क्षेत्रीय वनमण्डल दक्षिण शहडोल, क्षेत्रीय वनमण्डल अनूपपुर शहडोल, क्षेत्रीय वनमण्डल कटनी, क्षेत्रीय वनमण्डल एवं म.प्र. राज्य वन विकास निगम उमरिया परियोजना के चयनित अधिकारियों कर्मचारियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्र संचालक, बांधवगढ़ विन्सेन्ट रहीम के द्वारा किया गया। इस दौरान वन्यप्राणी मुख्यालय से आए उप वन संरक्षक रजनीश सिंह, उप वनमण्डल अधिकारी ताला एवं धमोखर भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून, विश्व प्राकृति निधि एवं म.प्र. राज्य वन अनुसंधान केन्द्र से आए मास्टर ट्रेनर्स उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में कुल 45 प्रतिभागियों द्वारा भाग लिया गया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के अखिल भारतीय बाघ आकलन में म.प्र. में 526 बाघ की संख्या आकलित की गई थी जो पूरे देश में सर्वाधिक थी। इसमें से 40 प्रतिशत से अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर आंकलन के दौरान पाए गए थे। बाघ के साथ ही सर्वाधिक तेंदुओं की संख्या भी म.प्र. में वर्ष 2018 के आंकलन अनुसार पाई गई थी। यह संख्या म.प्र. में वन्यजीवों विशेषकर बाघ एवं अन्य सह परजीवियों के सफल प्रबंधन के फलस्वरूप संभव हो पाया। संपूर्ण मध्य भारत तथा पूर्वी घाटी के क्षेत्र में बांधवगढ़ में सर्वाधिक बाघों की संख्या विगत आंकलन में पाई गई थी। अतः वर्ष 2022 के बाघ आंकलन हेतु भी म.प्र. वन विभाग के स्तर से पूरी तैयारियों के साथ आंकलन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम 17 अगस्त से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रारंभ किया जा चुका है। इस बाघ आंकलन की विशेषता यह है कि यह संपूर्ण आंकलन इस वर्ष मोबाइल एप् ड.ैज्तप्च्ै ;म्बवसवहपबंसद्ध के द्वारा किया जायेगा। आंकलन तीन चरणों में होगा जिसमें प्रथम चरण में न्यूनतम तीन दिनों तक प्रत्येक बीटों में 5 कि.मी. या उससे अधिक बाघ एवं सह परजीवी के संभावित विचरण क्षेत्रों में पूर्णतः भ्रमण किया जायेगा तथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाए गए चिन्हों को मोबाईल एप द्वारा संकलित किया जायेगा। दूसरे चरण में इन प्राप्त ऑकड़ों का विश्लेषण भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा किया जायेगा। तीसरे चरणों में संपूर्ण वन क्षेत्रों की पूर्व निर्धारित 2 वर्ग कि.मी. की ग्रिड में बाघ अथवा सह परजीवी प्राणियों के संभावित स्थल पर 25 दिनों के लिए ट्रेप कैमरा लगाया जायेगा एवं ट्रेप कैमरा से प्राप्त छायाचित्रों के आधार पर सह परजीवियों की पहचान की जायेगी। इस प्रकार आगामी तीन दिनों तक बाघ एवं सहजीवियों की अहेर प्रजातियों का आंकलन प्रत्येक बीटों में ट्रांजेक्ट लाईन पर चलकर किया जायेगा जिसकी न्यूनतम लंबाई 2 कि.मी. ट्रांजेक्ट लाईन पर 1.5 और 1 कि.मी. के सेम्पल प्लॉट में प्रत्येक 400 मी. की दूरी पर वनस्पतिक सर्वेक्षण किया जायेगा तथा 400 मी. के इन बिन्दुओं पर सर्वेक्षण प्लॉट के विपरीत दिशा में 20 मी.× 2 मी. के प्लॉट में शाकाहारी वन्यजीव के लेडि़यों की गणना भी की जायेगी। इस दौरान प्रत्येक क्षेत्र में गिद्धों की संख्या का आंकलन किया जायेगा। बाघ एवं सह परजीवियों के साथ ही क्षेत्र में पाए जाने वाले डमहं ीमतइपअवतमे (हाथी एवं गौर) की संख्या का आंकलन भी किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व एवं उसके आसपास वर्ष 2018 से जंगली हाथियों का रहवास है एवं वर्ष 2011-12 से गौर का पुर्नस्थापन भी इस क्षेत्र में किया गया है। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत प्रत्येक ईकाई से आए प्रशिक्षक अपने-अपने वनमण्डलों में जाकर सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को अखिल भारतीय बाघ आंकलन का प्रशिक्षण देंगे। माह अक्टूबर 2021 से बाघ आंकलन की यह प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी। इस बात के लिए प्रयास किया जा रहा है कि आगामी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई 2022 के बाघ आंकलन के परिणामों की घोषणा की जा सकेगी।

नवीन कुमार भट्ट
जिला ब्यूरो चीफ
जिला उमरिया मध्यप्रदेश

Leave a Comment