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शास्त्रीय संगीत पुरानी विरासत कला को बचाने की कोशिश में लगी है अध्यापिका विनीता तिवारी देखिए क्यों विलुप्त होता जा रहा है शास्त्रीय संगीत

 शास्त्रीय संगीत पुरानी विरासत कला को बचाने कोशिश अध्यापिका विनीता तिवारी
 पिछले चार पांच वर्षों में गीत संगीत के क्षेत्र में कई नए प्रयोग हुए हैं..ऐसा नहीं है कि नए प्रयोग नहीं होने चाहिए…प्रयोग अवश्य होने चाहिए…लेकिन एक अजीब सा ट्रेंड चला है….हो सकता है ये ट्रेंड हिंगलिश मैसेजिंग सिस्टम की वजह से हो पर संगीत श्रवण के मूड को बहुत हद तक बदल देता है। आपने आजकल FM आदि प्लेटफार्म पर जो ट्रेंडिंग गाने हैं उनको सुना होगा….उसमे पंजाबी, अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी का फ्यूज़न दिख रहा है। इसके अलावा गाने को क्लासिक रूप देने के लिए अनायास की चिल्लाहट भी डाली जा रही है। कई एक तो वर्तमान मॉडर्न देवदास टाइप गानों में तो प्रेमिका को थोड़े देर तक तो आदर्श रूप में फिर उसी में बेवफाई की प्रतिमूर्ति दिखाते हुए पंजाबी और अंग्रेजी के शब्दों के साथ हिन्दी sad song बनाकर पेश किया जा रहा है। अब तुकबंदी में हिन्दी अंग्रेजी और पंजाबी के शब्द समानान्तर और प्रकारान्तर रूप से प्रयोग किया जा रहा है। कई बार तो यह जबरदस्ती का बनाया हुआ गीत लगता है, और सिनेमेटोग्राफी के चलते भले ही उसे देखने योग्य बना दिया जाय परन्तु कर्णप्रिय तो वह बिल्कुल भी नहीं है। जबकि वर्तमान में कुछ एक गायक और गायिकाएं वास्तव में बहुत टैलेंटेड हैं…और बहुत अच्छा कर रहे हैं गीत संगीत के क्षेत्र में। संगीत अध्यापिका
विनीता तिवारी अपनी अपनी पुरानी विरासत संस्कृति को बचाने के लिए छात्रों को ऑनलाइन क्लास के माध्यम से लगातार संगीत के क्षेत्र में शिक्षा दे रही हैं देश विदेश में भी इनके विद्यार्थी हैं सुधीर कुमार दुबे ब्यूरो चीफ प्रयागराज

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