सरकार द्वारा भले ही हर वर्ष जीएसएस मे लगे बिजली उपकरणों के मरम्मत के नाम पर हर वर्ष लाखों रूपए खर्च कर रही हो लेकिन हकीकत देखी जाए तो स्थिति चौकाने वाली है।बिजली उपकरणों के मेंन्टीनेश के नाम पर लाखोें रूपए तो खर्च हो रहे है लेकिन मरम्मत के नाम पर केवल औपचारिकता पुरी हो रही है।ऐसे ही हालात मेड़ता उपखंड के जारोड़ा जीएसएस के है जहां बिजली उपकरण अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे है।इन हालातों के लिए विधुत निगम की लचर माॅनिटरिंग व्यवस्था जिम्मेदार है।विधुत तंत्र के कमजोर होनेे से कम वोल्टज व बार बार ट्रिपिंग की समस्या से आए दिन लौगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।कस्बें मे बने जीएसएस मे जियो,डियो,इनसुलेटर,सहित अनेक उपकरणों के बदलने व गुगड़वालो की ढाणी फीडर मे लगी वीसीबी के रिपेयर की जरूरत है।जीएसएस मे बिजली आपुर्ति हेतु तीन फीडर बनाए गए है जिससे ब्लाॅक के हिसाब से बिजली आपुर्ति की जाती है।जीएसएस बिजली सप्लाई बंद करने के लिए बनाए गए पावर कट प्वाइंट पर लगे तार,इनसुलैटर,क्लिप आदि को उपचार की जरूरत है।जीएसएस मे बने पावर कट पर जहां क्लिप लगाकर तारों को जोड़ा जाता है वहां तार लपेट कर जुगाड़ के सहारे काम चलाया जा रहा है।जिसके चलते तार लुज रहने से हर समय स्पार्किग होता रहता है जिसके कारण बार बार ट्रिपिंग की समस्या बनी रहती है।बिजली उपकरणों के सही तरीके से काम नही करने से जीएसएस मे रहने वाले कर्मचारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।कई बार तो जियो लगाने के बाद स्पार्किग होता है तो कर्मचारी बास की लकड़ी की सहारे उसको चोट मारकर स्पार्किग को रोकने का प्रयास करता नजर आता है।ऐसे मे जिम्मेदारों की अनदेखी का खामियाजा उसको भी भुगतना पड़ता है।विधुत तंत्र के कमजोर होने के कारण लौगों को पुरा वोल्टज भी नही मिलता है जिसके कारण कई बार बिजली उपकरण भी सुचारू रूप से काम नही करते है।
रिपोर्ट ओमप्रकाश गौड़ ब्यूरो चीफ मेड़ता