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एमपी मे 5000 हजार साल पुराना प्राचीन मंदिर बना आस्था का केंद्र, भिलट देव महाराज विराजमान सतपुड़ा पर्वत की श्रेणी मे

खरगोन प्राप्त जानकारी के अनुसार एमपी के खरगोन जिले और बडवानी जिले के बीच स्थित नागलवाड़ी नामक गांव में ऊंची पहाड़ी पर बसे बाबा भिलट देव!इस बीच खडी चढाई और रास्ता उबड खाबड लगभग 10 से 15 किमी की ऊंचाई पर सतपुड़ा की पहाड़ी पर विराजमान बाबा भिलट देव!इसके साथ हि पुरे एमपी में बाबा भिलट देव महाराज नागलवाड़ी शिखर धाम के नाम से प्रसिद्ध है!जंहा पर सप्ताह के सातो दिन और प्रतीदिन हजारों की तादात में श्रद्धालुओ का आना जाना दिनभर लगा रहता है!और प्रतीदिन हजारों का चढवा और श्रीफल आदि चढाए जाते है!तथा उसी चढावे से मंदिर कमेटी द्वारा सप्ताह के सातो दिन और पुरे दिन आने जाने वाले श्रद्धालुओ को भण्डारे के रूप में महाप्रसादी का भोजन भी करवाया जाता हैं।एवं बाबा भिलट देव के दर से कोई भी भक्त कभी भुखा और खाली हाथ नही लौटा हैं, आजतक! इसके साथ हि श्रद्धालुओं द्वारा बाबा के दर्शन एवं पुजा करते हुए मन्नते भी मांगी जाती है।तथा बाबा भिलट देव अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं! एवं भक्तों द्वारा जैसे हि अपनी कोई मांगी हुई मनोकामना पूर्ण होती हैं, भक्त यंहा पर वापस आकर अपनी इच्छा अनुसार मांगी हुई मन्नत पुरी होने पर बाबा को मिष्ठान,श्रीफल, छत्र,कुछ पैसों के साथ तलवार और त्रिशूल आदि का चढावा चढाया जाता है। अर्थात जिसकी जैसी मनोकामना उसका वैसा हि चढावा!इसके अलावा मन्दिर प्रांगण में कुछ और भी देवी देवताओं की स्थापना की गयी है! मंदिर कमेटी के सदस्यो एवं पुजारीयो के अनुसार बाबा भिलट देव सफेद घोड़े की सवारी करते हैं!बाबा भिलट को दो चिज अती प्रसन्न है,पहला सिन्दूर तथा दुसरा हलवे का भोग! इसके साथ हि ऐसा माना जाता हैं,बाबा भिलट देव 5000 हजार साल पुर्व एक बुजुर्ग व्यक्ति के सपने में आए थे!उस समय जब यह इलाका भयानक झाडियो से भरा हुआ था! तथा बुजुर्ग के कहने पर पुरे ग्रामीणों सहित ऊंचे शिखर पर यंहा आकर खुदाई का काम शुरू किया ! इसके साथ हि लगातार खुदाई का काम चलता रहा!इसके पश्चात ठिक 10 से 15 फिट खुदाई के बाद बाबा भिलट की पंचमुखी मुर्ती के साथ पुराने राजा महारजाओ के समय के करोडो के आभुषण और जेवरात भी निकले!इसके थोड़ी और खुदाई करवाने पर बाबा भैरवनाथ जी का शिश भी निकला !तब से हि यंहा पर विराजमान हैं, बाबा भिलट देव , जो कि निमाड के राजा के नाम से भी जाने जाते हैं!उन्होंने यह भी कहा है, कि नागपंचमी पर यंहा पर हजारों की तादात में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं! इसके साथ हि कई और भक्तों से पुछने पर पता चला की बाबा का जन्म मध्यप्रदेश के हरदा जिले के रोलगांव पाठन ग्राम मे गवलई समाज में हुआ था, उनके पिता का नाम रेहलन गवलई और माता का नाम मैदा बाई गवलई का होना बताया गया है। उन्होंने यह भी बताया है, कि बाबा के जन्म के थोडे हि समय बाद महादेव पत्नी गौरी माता के कहने पर महादेव ने मैदा बाई के आंगन से पालने मे झुला झुल रहे भिलट देव के स्थान पर अपने गले से सर्प को निकालकर पालने मे सुलाकर भिलट देव को उठाकर आकशमार्ग से गौरी माता के पस ले गए!इसके बाद बाबा भिलट देव ने महादेव पत्नी गौरी माता से शिक्षा दिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद बाबा भिलट के बाबा भैरवनाथ ने माता गौरी के निर्देशन पर काउड बंगाल जाकर वंहा फैली काली शक्तियों और काले साम्राज्य को खत्म कर अपना आधिक्य स्थापित किया!तथा काउड बंगाल में गंगु तेलण नामक एक महिला के पास काली शक्तियों के साथ भिलट बाबा ने खेल खेल मे अपनी शक्तियां दिखाते हुए अपनी क्रोध अग्नि में पुरे काउड बंगाल को जला दिया! दरअसल बाबा भिलट देव काउड बंगाल में विश्राम के बहाने तपस्या पर बैठे थे,उस समय बाबा भैरवनाथ भिलट की सुरक्षा और सेवा में लगे थे, थोड़ी हि देर बाद गंगु तेलण नामक महिला ने धोखे से अपनी काली शक्तियों द्वारा भैरवनाथ को बैल बना दिया था!उस समय तपस्या पर बैठे बाबा ने आक्रोशित होकर पुरे बंगाल को जला दिया!तब जाकर उस महिला ने बाबा भिलट से माफी मांगकर अपनी बेटी पदमा नागिन को भिलट देव बाबआ को सोंप दि!बाबा भिलट ने काउड बंगाल के काले साम्राज्य को खत्म करते हुए इसी के साथ भिलट देव ने पुरी धरती का विचरण करते हुए सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी पर अपनी पत्नी पदमा और बाबा भैरवनाथ के साथ हमेशा हमेशा के लिए विराजमान हो गए!तथा मंदिर में अभी भी भिलट देव के मुख के सामने बाबा भैरवनाथ विराजमान हैं, जो कि हर समय बाबा के पहरी के रूप में रक्षा करते है! ताकि बुरी शक्तियों से सबसे पहले भैरवनाथ संभाल सके ! तब से हि गांव का नाम भी नागलवाड़ी रखा गया है।
देखिये पुरी रिपोर्ट
जिला खरगोन
इण्डियन टिवी न्यूज़ से संवाददाता दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट

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