गावों मे बनी पानी टंकियों पर सफाई के नाम लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद ग्रामीण दुषित पानी पीने को मजबूर

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मेड़ता के ग्रामीण क्षेत्र में जलदाय विभाग द्वारा जलापुर्ति करने के लिए पानी की टंकियां बनाई हुई है जिसकी हर साल सफाई करनी होती है ताकि ग्रामीणों को शुद्ध पानी उपलब्ध हो सके।लेकिन टंकियों की सफाई की जमीनी हकीकत देखी जाए तो सफाई से कोसो दुर है कई वर्षो से इन टंकियों की सफाई नही हुई है पानी की टंकियों की सफाई की जमीनी हकीकत जानने के लिए मेड़ता उपखंड के गावों में बनी दो दर्जन से अधिक पानी की टंकियों की जांच की गई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए।सफाई किए बिना व कई टंकियों मे कई वर्षों से एक बार भी पानी नही आया है उस पर सफाई करने की तारीख अंकित कर सफाई के नाम पर पैसा उठाया जा रहा है।हालात ऐसे बने हुए है कि कई टंकियों में पक्षियों के घौंसले,अंण्डे तो कई टंकियों मे करीब एक एक फुट तक कीचड़ जमा हुआ नजर आया जबकि इन जीएलआरों की करीब 8 माह पहले सफाई करना बताया है।ऐसे मे हकीकत देखी जाए तो गांवों मे बनी इन टंकियों पर तारीख तो बदलती है लेकिन सफाई हुए कई वर्ष बित गए है।जलदाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते टंकियों की सफाई किए बिना ही उस पर सफाई करने की तारीख अंकित कर सफाई करने के नाम पर लीलापोती की जा रही है।ऐसे मे विभाग द्वारा टंकियों की सफाई के नाम पर लाखों रूपए खर्च करने के बाद भी ग्रामीण दुषित पानी पीने को मजबुर है।

रिपोर्ट ओमप्रकाश गौड़ ब्यूरो चीफ मेड़ता

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