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ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन को लेकर किसानों का आक्रोश थम नहीं रहा है

रिपोर्ट शिवेंद्र सिंह सतना

ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन से ग्राम कर ही हर मल्ला में किसानों ने चल रहे रेलवे के निर्माणाधीन कार्य को पुनः एक बार रोक दिया है किसानों का कहना है कि रेलवे हमारे साथ छल कर रही है जब तक जमीन का अधिकार नहीं हुआ था अन्ना किसानों को मुआवजा दिया गया था जब रेलवे ने यह कहा था और वादा किया था कि हम मुआवजा तो देंगे ही जमीन के बदले और किसान के एक परिवार को नौकरी भी देंगे परंतु अब रेलवे अपने वादे से मुकर रही है किसानों को रोजगार नहीं दे रही है जिससे किसानों में रोज आक्रोश बढ़ता जा रहा है किसान शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक इसकी गुहार लगा चुके हैं परंतु कोई उनके सामने नहीं आ कर उनका साथ दे रहा है करही हरमल्ला आज किसानों ने यह बताया की आराजी नंबर 53 बटे दो मेरे लिए जबरदस्ती काम कर रही है यह जमीन एकदम बीच में स्टेशन के फस रही और इस जमीन का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है इस जमीन में लगातार 2016 से काम चल रहा है इस जमीन को प्रथम अधिग्रहण में छोड़ दिया गया है तथा पूरक अतिग्रहण में भी उसे छोड़ दिया गया है किसानों ने इसकी कई बार लिखित जानकारी अपने जिले के कलेक्टर महोदय एसडीएम महोदय को जी व रेलवे को अवगत कराया वह अपने जिले के संसदीय क्षेत्र के सांसद महोदय को भी इस विषय से अवगत कराया परंतु इसमें सब ने अपना पल्ला झाड़ दिया है किसानों की कोई नहीं सुन रहे हैं तब आज किसान विवश होकर 2016 के मामले को आज किसानों ने उन्हें चेतावनी देकर रेल प्रशासन से मांग की है कि हमारी जमीन का मुआवजा और नौकरी जब तक नहीं देंगे जब तक हम आपको अपने ग्राम पंचायत और विधानसभा में काम नहीं करने देंगे और अगर हमारे साथ साथ दोस्ती करते हैं तो हम भूख हड़ताल धन्ना अभी करेंगे किसानों को कहना है कि हम 2016 से प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं और प्रशासन हमारी सुन नहीं रहा हमारी जमीन भी ले लिया है हम अपना भरण-पोषण करने कहां जाएं क्या करें हम विवश हो रहे हैं और प्रशासन हमारी सुन नहीं रहा कई किसान रेलवे के ऑफिस गए तो रेलवे के अफसरों के द्वारा यह बताया गया कि हमने अपनी तरफ से फाइल कंप्लीट करके वर्जन शाखा में कलेक्टर साहब को भेज दिया है और कलेक्टर महोदय के भू अर्जन शाखा में जाते हैं किसान तो वहां यह जानकारी किसानों को दी जाती है कि हमारे पास तो फाइल ही नहीं आई ऐसे ऐसे मामले किसान झेल रहे हैं और बीजेपी सरकार की किसान हितैषी सरकार अपने आपको बताती है और किसान इन्हीं के राज में परेशान है ना कोई जनप्रतिनिधि सुन रहा है ना कोई ध्यान दे रहा है ऐसे में करें तो करें क्या किसान|

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