युवाओं में बढ़ता असंतोष और अंग्रेजी,हिंदी माध्यम में प्रतिस्पर्धा

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Growing dissatisfaction among youth
Growing dissatisfaction among youth

संजीव ठाकुर

भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश और विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या का देश है। चीन और जापान जहां बुढ़ापे की जनसंख्या से परेशान है वहीं भारत की बड़ी युवा जनसंख्या में आर्थिक स्रोतों के अभाव में असंतोष गहराने लगा हैस वैसे युवाओं में बढ़ते असंतोष की समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं है यह विश्वव्यापी समस्या भी बन गई हैस भारत में विद्यार्थियों के मध्य रोजगार न होने से असंतोष की घंटी अब बजने लगी है और यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह हमारी बुनियाद को हिलाने में जरा भी देर नहीं करेंगी । युवा वर्ग खासकर विद्यार्थियों के मध्य विषाद और असंतोष का वातावरण और कुछ नहीं बल्कि आम लोगों में बढ़ते असंतोष कोई प्रदर्शित करता हैस पिछले एक दशक से विद्यार्थियों में विदेश जाने की चाहत विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण और पर्याप्त और रोजगार के साधन होने अवसाद काफी बढ़ गया है और इसकी परिणति हिंसात्मक क्रियाकलापों और तोड़फोड़ आगजनी के रूप में सार्वजनिक जगहों मैं आंदोलन तथा सरकारी भवनों तथा सरकारी वाहनों में आगजनी के रूप में दिखाई देने लगी है विद्यार्थियों युवा वर्ग और युवतियों में दीवानापन एक शोध का विषय बन कर रह गया है लेकिन इसमें न तो कोई अध्ययन करता है और नहीं तो कोई समाधान की ओर सोचने की हिमाकत ही कर रहा हैस हम प्रायः विश्वविद्यालयों के बंद होने कुलपति के घेराव होने वह विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने की खबरें लगातार समाचार पत्रों में पढ़ते रहते हैं यह स्थिति काफी दुखद हो गई हैस हिंसा के इस अतिरेक के पीछे युवा वर्ग तथा विद्यार्थियों की कई शिकायतें तथा मांगे हैं सरकार तथा शिक्षा जगत से जुड़े अधिकारियों प्राध्यापकों और संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों के हित में कोई भी कार्य न किए जाने फल स्वरूप विद्यार्थी दंगे फसाद हड़ताल और प्रदर्शन करते आ रहे हैंस निजी संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों से अधिक शिक्षा शुल्क वसूला जाना पुस्तकालय एवं तथा शैक्षिक पुस्तकों के अभाव में काफी असंतोष पनपने लगा है उसके अलावा कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों स्कूलों में योग्य शिक्षक की कमी भी युवा वर्ग तथा विद्यार्थियों में संतोष की कमी का एक बड़ा कारण भी हैस अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा तथा हिंदी माध्यम के बच्चों का बिछड़ना जी युवा वर्ग में असंतोष का एक बड़ा कारण बन गया है। अभी भी शिक्षा जगत में विद्यार्थियों का बड़ा वर्ग हिंदी मीडियम से शिक्षा प्राप्त कर रहा है ऐसे में अंग्रेजी विषय और भाषा उनकी समझ से बाहर हो जाता है यह भी विद्यार्थियों में असंतोष का बड़ा कारण बनता जा रहा है हमारी आज की शिक्षा पद्धति केवल बेरोजगार को तैयार करने वाली रह गई है इसमें व्यवसायिकता का पुट काफी कम है।उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवक रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकता है और यही कारण है कि युवा वर्ग तथा विद्यार्थी समुदाय अपने मुख्य आदर्शों से भटक कर अन्य असामाजिक गतिविधियों में तथा नशे की लत में आदि होने के लिए बाध्य हो गया है। साहित्यकार रामधारी दिनकर जी ने हिंदी से दो यम दर्जे के व्यवहार को लेकर कहा था कि ष्हम अपने विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा की सलीब की भेंट चढ़ा रहे हैंष् और यही कारण है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में खासकर तकनीकी परीक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम होने के कारण 60ः युवा अंग्रेजी के कारण ही असफल हो जाते हैं। राष्ट्रीय महत्व के इस गंभीर विषय पर सरकार तथा शिक्षाविदों को गहन विचार-विमर्श कर इस समस्या का निदान किया जाना चाहिए। वैसे वर्तमान में प्रदेश तथा केंद्र शासन की परीक्षाओं में हिंदी भाषा तथा माध्यम से परीक्षाएं होने के कारण काफी मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों को सफलता मिल रही है पर यह अंग्रेजी मीडियम के विद्यार्थियों की तुलना में लगभग अत्यंत नगण्य है । युवा छात्र देश की उन्नति तथा विकास के स्तंभ है इसके अलावा युवा शक्ति देश की भावी कर्णधार भी हैं यदि इन्हें सही मार्गदर्शन एवं दिशा दर्शन दिया जाए तो काफी सकारात्मक तथा लाभकारी प्रतिफल प्राप्त हो सकते हैं और यदि वे दिशाहीन होकर समाज के विमुख जाते हैं तो न सिर्फ परिवार ,समाज बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को बड़ी क्षति होने की संभावना होगी। भटके तथा दिशाहीन युवाओं की हिंसक अभिव्यक्ति का जवाब सरकार की गोलियां या लाठियां नहीं हो सकतीं हैं ,इस मसले को बहुत ही बुद्धिमता पूर्ण एवं शांति पूर्वक युक्ति से निपटना होगा। वैसे यह तो खुला सत्य है कि युवा शक्ति पर ही राष्ट्र का चतुर्दिक विकास तथा आशाएं टिकी हुई है। युवा वर्ग की समस्याओं का समाधान इन परिस्थितियों में ही हो सकता है कि उनकी मानसिक स्थिति तथा आवश्यकता तथा समस्याओं को समझ कर उन्हें हर तरह से दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए, क्योंकि सबल युवा वर्ग ही राष्ट्र का सुनहरा भविष्य हो सकता है।

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