महाराष्ट्र की सालेकसा तहसील में स्थित पवित्र स्थल कछार गढ़ में आयोजित होता है महाकुंभ

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संवाददाता अनिल दिनेशवर

इंडियन टीवी न्यूज़ के अनिल दिनेशवर जी की देखें ये रिपोर्ट आदिवासी जनजाति (कोयावंशीय) समुदाय के पहले धर्मगुरू पाहंदी पारी कुपार लिंगो ने इस गुफा की खोज की थी और आदि माता काली कंकाली के बच्चों को मुक्त करवाया था ऐसी धार्मिक मान्यता है।
मुक्ति के बाद इनका नामकरण किया गया जो कालान्तर में विभिन्न जनजातीय आदिवासी पेन (देव) कहलाये। इसके बाद आदि गुरू ने विभिन्न छोटे छोटे कबीलों में बिखरे आदिवासियों को एकत्र कर आदि प्रकृति धर्म की स्थापना की। महाराष्ट्र की सालेकसा तहसील में स्थित इस पवित्र स्थल में फरवरी माह में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में विभिन्न जनजातीय आदिवासी कबीले अपने अपने वाद्य यंत्रों तथा बाना के साथ इस पवित्र पेन ठाना में पहुॅंचकर अपने आदिगुरू और आदिमाता की गोंगो और स्तुति करते हैं । बड़ा जबरदस्त आदिवासी स्थल है|

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