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चमत्कारों से भरा है मां वैष्णो देवी का मंदिर

मालथोन से अखिलेश कौशिक तहसील व्यूरो जिला मुख्यालय सागर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एवं उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिला से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेशनल हाईवे के नगर परिषद बरोदिया कला के किले पर स्थित मां वैष्णो देवी का मंदिर चमत्कारों का भंडार है यहां पर आने वाले प्भक्तों की मनोकामना निश्चित समय में पूरी हो जाती है। प्रत्येक नवरात्रि पर भक्तों का ताता यहां लगा रहता है देश के अलग-अलग कोनों से राजस्थान उत्तर प्रदेश आंध्र प्रदेश एवं अन्य जिलों से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मन्नतें मां के सामने रखते हैं मां वैष्णव देवी मनोकामनाओं को एक निश्चित समय में पूरा करती है और भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मां के मंदिर पर कन्या भोज भंडारा कराया जाता है भक्त निशान लेकर के गाजे बाजों के सहित मंदिर में निशान चढ़ाते है। मां वैष्णो देवी के मंदिर का इतिहास भी बहुत ही रोचक है कहा जाता है कि यह मंदिर ग्रामीण ग्रामीणों द्वारा भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करने के लिए बनाया गया था लेकिन मंदिर के पूर्ण होते ही मां वैष्णव देवी जी ने ग्राम के ही पंडित राजेश कौशिक जी को स्वप्न देकर कहा कि मैं उस मंदिर में आना चाहती हूं मेरी वहां स्थापना कराओ सपने की यह बात जब पंडित राजेश कौशिक जी ने ग्रामीणों को होता है तो ग्रामीणों ने मां के आदेश को मान कर तुरंत ही मां वैष्णो देवी की प्रतिमा जयपुर राजस्थान से मंगाई और बड़े धूमधाम से उस मंदिर में वैष्णो देवी जी की स्थापना कराई गई। जब से मां वैष्णो देवी जी की स्थापना कराई गई है तभी से यह मंदिर चमत्कारों का भंडार बना हुआ है मां वैष्णो देवी नवरात्रि के अवसर पर दिन में 3 स्वरूपों में दर्शन देती हैं प्रातः कन्या के रूप में दोपहर में युवती एवं शाम को प्रौढावस्था में मां दर्शन देती है प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कई लोग आए इन्होंने यहां साक्षात दर्शन किए हैं। यह मंदिर करीब 100 मीटर ऊंचाई पर किले में स्थित है यह प्रांगण पूरा जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर का रूप लिए हुए हैं एक तरफ मां ज्वाला देवी एक तरफ अर्धकुमारी जो गुफा में स्थित है उनके दर्शन के लिए लोगों को गुफा के अंदर लेट कर ही जाना पड़ता है। मंदिर के नीचे भैरव नाथ का मंदिर है ऐसी मान्यता है कि जो मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरव नाथ के दर्शन नहीं करते हैं उनको मां के दर्शन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इस मंदिर में समय-समय पर जनप्रतिनिधियों द्वारा जीर्णोद्धार का कार्य कराया जाता है। भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मां के दरबार में छप्पन भोग लगाया जाता है कन्या भोज का आयोजन किया जाता है और ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त अपनी मुरादे लेकर के मां के दरबार में उपस्थित होता है निश्चित ही उसकी झोली भर जाती है। मां वैष्णो देवी के मंदिर को प्रकृति ने भी बखूबी अपने प्राकृतिक रंगों से इसको सजाया है।

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