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रिपोटर हड़मानराम ब्लॉक पाटोदी जिला बाड़मेर राजस्थान

ग्रामपंचायत सिमरखिया की राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुम्हारो व टावरीयों की स्कूल में पढने वाले बच्चों की सुविधा, पढ़ाई व शिक्षकों की कमी के वजह से निजी स्कूलाें में अभिभावक रूख कर रहे हैं|

सरकारी स्कूलाें में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बच्चे भी पढ़ रहे निजी स्कूलों मे जानकारी के अनुसार इस वजह से इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पत्रकार की ही तरह बच्चा स्कूल में बने शौचालय को दिखाते हुए कहता है, ‘सरकार क्या कर रही है? देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है और स्कूल में शौचालय के नाम पर ये है. कैमरामैन जरा दिखाइए. क्या इसे शौचालय कहते हैं फिर सरकार से पूछता है- न शौचालय है, न पानी पीने की व्यवस्था है. क्या ऐसे होते हैं स्कूल?’

रिपोर्ट के अनुसार ईन्डियन क्राईम टीवी रिपोर्टर वहा पहुंचे तथा बताया कि सरकारी स्कूल में निःशुल्क शिक्षा तो दी जाती है। लेकिन वहां बच्चों को पढ़ाई में उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना निजी स्कूल के शिक्षक देते हैं। सरकारी स्कूल में प्राथमिक शाला से लेकर पूर्व माध्यमिक तक कई जगहों पर एक या दो शिक्षक ही पदस्थ रहते हैं। इनके द्वारा सभी विषयों को पढ़ाया जाता है। चाहे फिर उनको उस विषय के बारे में जानकारी हो या फिर न हो। लेकिन निजी स्कूल में अंग्रेजी का शिक्षक ही अंग्रेजी पढ़ाता है और दूसरा कोई विषय नहीं पढ़ता है। इस वजह से बच्चों की अच्छी पढ़ाई के अलावा हमारे बच्चो में क्या कमी रहती है। बच्चों की संख्या घटने का मुख्य कारण प्रर्याप्त शिक्षकों का न होना व स्कूल में अन्य बच्चों के बैठने व अन्य संसाधनों की कमी बताई जा रही है।

नहीं रहती सुविधा
बच्चों का निजी स्कूल में पढ़ाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि स्कूल के शिक्षक व प्रबंधक हर बच्चे पर ध्यान देता है। है, तो कि सरकारी स्कूल में ऐसा नहीं रहता है सरकारी स्कूल में हमारा बच्चा पढ़ रहा है कि नहीं इससे शिक्षकों को कोई मतलब नहीं रहता, वह बस अपनी ड्यूटी खत्म करते हैं। साथ ही प्राथमिक शालाओं में पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चों एक साथ ही एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। अब ऐसे में कौन से बच्चे ने क्या पढ़ा है ये पता नहीं होता|

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