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“अंधे के हाथ में लगी बटेर” फिर क्या कहना इस कहावत को निसरपुर ग्राम पंचायत के सचिव ने किया चरितार्थ

“अंधे के हाथ में लगी बटेर” फिर क्या कहना इस कहावत को निसरपुर ग्राम पंचायत के सचिव ने किया चरितार्थ ,ग्राम पंचायत निसरपुर के पंचायत सचिव ने लगाया लाखों रुपयों का चूना, नाबालिक बच्चों को मजदूर बताकर उनके नाम से भी निकाला गया पैसा, केंद्र और राज्य सरकार कि कई नीतिगत निर्णय एवं शासन की कई जन हितेषी एवं जनकल्याणकारी योजनाएं चला जा रही है इसी तारतम्य में ग्रामीणों के उत्थान एवं विकास के लिए ग्राम पंचायत का गठन कर वहां स्वतंत्र रूप से निर्वाचन कार्य संपादित करवा कर एक ग्राम पंचायत का गठन किया गया यहां पर शासन की समस्त मूलभूत समय समस्याओं का निराकरण कर उत्थान एवं विकास के लिए पंचायत भवन बना कर सारी समस्याओं का निदान एवं विकास कार्य के लिए केंद्र बिंदु बनाया गया इसी कड़ी में यहां पर पंचायत सचिव की नियुक्ति की गई तथा शासन द्वारा दिए गए करोड़ों अरबों रुपए के कल्याणकारी योजनाओं के लिए शासकीय धनराशि आवंटित कर प्रदाय की गई परंतु कहते हैं एक कहावत है “अंधे के हाथ में लगी बटेर” इसी कहावत को निसरपुर पंचायत सचिव ने पूरी भली-भांति चरितार्थ कर दिया है यहां पर भ्रष्टाचार अनियमितता शासकीय धन का दुरुपयोग जैसे कई मामले सामने आ रहे हैं मंगलवार को जनसुनवाई में दोबारा फिर ग्रामवासी 55 बिंदुओं की जांच को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे |
ग्राम वासियों ने बताया है कि हमारे द्वारा किसी भी प्रकार की मजदूरी या मनरेगा के अंतर्गत किसी भी प्रकार का कार्य नहीं किया गया किंतु पंचायत सचिव ने हमारी बिना जानकारी के लाखों रुपया हमें मनरेगा के कार्य मैं दिखाकर शासकीय धनराशि को हड़प कर लिया है जब इस संबंध में हमें जानकारी मिली तो हमने विभिन्न स्तरों से इसकी शिकवा शिकायत की गई सीएम हेल्पलाइन से लगाकर जनपद पंचायत तक शिकायत की गई किंतु जांच के नाम पर निल बटे सन्नाटा ऐसा प्रतीत होता है कि यह शासकीय धनराशि को ठिकाने लगाने में कहीं ना कहीं ऊपर से नीचे तक मिलीभगत कर इस पूरे का काम को नियम विरुद्ध तरीके से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है| करोड़ों अरबों रुपए राशि प्रदाय की गई ताकि गांव के विकास के साथ ही मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी कार्य करवा कर उनसे रोजगार दिया जावे| किंतु नियमों को ताक में रखकर सचिव ने निस्तार तालाब से लगाकर अन्य कार्यों में जेसीबी मशीन से कार्य करवा कर लाखों रुपए का शासन को चुना लगाया| इस संबंध में सचिव गजानन पवार से संपर्क किया तो उन्होंने अपना पक्ष ना रखते हुए मोबाइल पर बात करना उचित नहीं समझा एवं बार-बार नंबर लगाने पर मोबाइल फोन काट दिया गया इसका मतलब जरूर कुछ तो कुछ दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है|

तहसील रिपोर्टरः-प्रशांत सिरसाठ ।

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