कब टूटेगा मिथ्या भ्रम। आखिर कौन है वास्तविक नपाध्यक्ष। शासन के रिकार्ड में है महिला आरक्षित। फेसबुक अकाउंट में पुत्र बन बैठे अध्यक्ष।

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गुना गोलू सेन की रिपोर्ट

ब्यावरा: पद ओर प्रभाव का मोह किस कदर हावी होकर रंग दिखाता है। इसका उदाहरण ब्यावरा नगरपालिका में देखने को मिलता है।

कहने ओर सुनने के लिए मप्र शासन की ओर से अधिकृत नपाध्यक्ष लीलादेवी कुशवाह है।
परन्तु हमारी पड़ताल में जो तस्वीरें निकल कर सामने आ रही है उसमें नपाध्यक्ष के पुत्र स्वयं को अध्यक्ष बता कर अपने आप को महिमा मंडित कर रहे है।
फेसबुक पर साझा की गई तस्वीरों ओर लेखन से साफ समझ मे आ रहा है कि पद के मोह की लालसा क्या होती है।
जनाब खुद को ही नपाध्यक्ष बताकर लोगो को गुमराह कर रहे है।
आप बड़ा प्रश्न उठता है कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर इस तरह का झूठ सच बनाकर परोसा जाएगा तो पद की गरिमा क्या रह जायेगी।
वहीं बड़ा सवाल यहां यह भी उठता है कि मप्र के मुखिया सहित नियमो में महिलाओं को आरक्षण देने के पीछे मुख्य उद्देश्य उनका सर्वांगीण करना है और साथ मे समाज मे उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराना है।
ऐसे में शासन/प्रशासन की मंशाओं के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसने दिया ये समझ से परे है।

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