जागरूक करने की आवश्यकता, जिससे ना जा सकें किसी की जान

*जागरूक करने की आवश्यकता, जिससे ना जा सकें किसी की जान..!!*

स्वतंत्रता दिवस के उमंग और जोश में आसमान छूती पतंगें चार चांद लगाती हैं, लेकिन पतंगबाजी में चीनी और सिंथेटिक मांझे का प्रयोग करके अति उत्साही युवा अक्सर खतरनाक स्थितियां पैदा करते हैं दिल्ली सरकार, पुलिस या संबंधित विभाग इस पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन इसका प्रयोग करने वाले और इसको बेचने, खरीदने और जमा करने वाले अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं और बेपरवाह होकर दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां पैदा करते हैं।वर्तमान में अगर कोई मांझे का भंडारण करता पाया जाता है तो उसे एक लाख का जुर्माना और पांच वर्ष की सजा का भी प्रावधान है!वैसे दिल्ली पुलिस की तरफ से हर साल मांझे को लेकर नोटिफिकेशन जारी होते हैं।छापेमारी भी की जाती है,पतंग कटने के बाद हवा में उड़ता मांझा हादसे का सबब बनता है। पतंग कहां से कटकर आई है? कौन उड़ा रहा था? इसका पता लगाना पुलिस के लिए कड़ी चुनौती रहती है। पुलिस पतंग उड़ाने वाले तक नहीं पहुंच पाती है।लेकिन इससे बचने के लिए स्कूली छात्रों और स्कूल प्रबंधन को शामिल करते हुए जागरूकता अभियान चलना चाहिए और प्रचार तंत्र के जरिए दिल्ली वालों को और अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है,ताकि दिल्ली में रहने वाले परिवार अपने बच्चों को इस खतरनाक मांझे को खरीदने से रोक सकें। रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर

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