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हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार पर स्थित  अधोगिक क्षेत्र परवाणू सुविधाओं के अभाव में दिन प्रतिदिन दूषित होता जा रहा

ब्यरो चीफ़ सुन्दरलाल जिला सोलन

हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार पर स्थित  अधोगिक क्षेत्र परवाणू सुविधाओं के अभाव में दिन प्रतिदिन दूषित होता जा रहा है । परवाणु 70 के दशकक  समय अपने आप में पूरे भारत वर्ष मेंअपनी पहचान बनाये रखने  को लेकर बरबस अपनी ऒर आकर्षित करता है । यहां के बड़े बड़े अधोगिक धरोहरों की बनावटों व इमारतों का सौंदर्य ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । सुंदर पहाड़ीयों की गोद में प्राकृतिक सुंदरता व प्रकृति के अद्भुत नजरों से परिपूर्ण यह अधोगिक स्थल व्यवसायीयों का आकृषित केंद्र बना हुआ है । परन्तु सरकारी उपेक्षा के कारण यह स्थल दिन प्रतिदिन अपने अस्तित्व व सुंदरता से ओझल होता नजर आ रहा है ।परवाणु  में व उसके आसपास के क्षेत्रों में हो रहे बेतहाशा  निर्माण कार्यों व सही ढंग की सीवरेज की व्यवस्था न होने , शौचालय की कमी व जरूरत से ज्यादा पॉलीथिन के हो रहे प्रयोग, उद्योग की सुंदरता को ग्रहण लगा दिया है ।इस उद्योग स्थल में बने शौचालयों की सीवरेज की व्यवस्था न होने के कारण जहां प्रतिदिन आ रहे सैंकड़ों सैलानियों के अभाव से जूझना पड़ रहा है। वहीं इस क्षेत्र में बढ़ती गन्दगी से यह अधोगिक स्थल प्रदूषित हो रहा है। हिमाचल सरकार द्वारा पर्यावरण के बचाव तथा स्वच्छता बनाये रखने की दृष्टि से राज्य में सभी प्रकार के पॉलीथिन कैरी बैगों ,प्लास्टिक से बने सभी डिस्पोजल वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है । बावजूद इसके पॉलिथीन का धड़ल्ले से प्रयोग किये जाने से जहां सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं । वही प्रकृति की भी सुंदरता का उपहास उड़ाया जा रहा है।सफाई की जिम्मेदारी नगर परिषद की है ,लेकिन नगर परिषद के पास जो कूड़ा जलाने का संयंत्र होने के बावजूद भी सफाई कर्मचारी कूड़े को खुले में फेंक रहे हैं । जिससे पॉलीथिन के कैरी बैग हवा मैं उड़ कर पूरे पर्यटन स्थल की पहाड़ी पर फैले हुए हैं ।जिससे पूरा पर्यटन स्थल प्रदूषित होता जा रहा है ।यहाँ जहां पर शौचालय व कूड़ादान का अभाव है । वहीं यहां पर्यावरण के प्रेमियों व आम जनता को अफसोस इस बात का है कि सरकार व यहां का प्रशासन के उदासीन रवैये से जहां अधोगिक स्थल दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है वहीं यहां के राजनीतिज्ञों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है ।पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि पॉलीथिन व मिनरल वाटर की बोतलों से सड़क के साथ लगते क्षेत्र व पर्यटन स्थल भरे पड़े हैं । यदि बढ़ते प्रदूषण को नहीं रोका गया तो यह भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है ।पूर्व युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव  पूर्व ज़िला परिषद सदस्य अजय सिंह का कहना है किअधोगिक नगरी परवाणु  में पेयजल की भारी कमी है । यहां पर स्वच्छ भारत की जैसी योजना को लागू करने के लिए पानी अधिक जरूरत है । परंतु इसके लिए प्रदेश सरकार को उचित कदम उठाये जाने अति आवश्यक जरूरत है । उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मांग उठाई है कि कसौली के अधोगिक क्षेत्र परवाणु या तो गिरी उठाऊ पेयजलापूर्ति करवाई जाए या फिर टीयूवेल बोर से निर्माण होने वाली उठाऊ पेयजल योजना को शीघ्रता पूर्वक  स्वीकृति दी जाये

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