ब्यूरो चीफ शहबाज अहमद
कोटा
कोटा के गवर्मेंट अस्पतालों में बेड ऑक्सीजन रेमडिसिविर की नहीं है कोई व्यवस्था, जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था भी आमजन को राहत नहीं दिला पा रही
कोटा! दुष्यंत सिंह गहलोत उपाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी कोटा दक्षिण ब्लॉक ए कोटा ने संवाददाता से बातचित में बताया कि कोटा के गवर्मेंट अस्पतालो की हालत डगमगाई हुई है। यहाॅ ना बेड खाली है ना ऑक्सीजन है ना ही रेमडिसिविर इंजेक्शन है। इस व्यवस्था के चलते मरीज गेट के बाहर की दम तोड़ रहे है। कोटा में जारी टोल फ्री नंबर पर कोई फोन नहीं उठाता है। कोटा के उच्च अघिकारी अपनी जिम्मेदारी भुल गये है। कोटा के मेडिकल काॅलेज अधिक्षक डाॅ.सुशील सोनी ना परीजनो के फोन उठाते है ना पत्रकारो के। कोविड अस्पताल में करीब 23 नर्सेज पिछले 7 माह से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। कोरोना काल में सरकार इनको पोस्टिंग देकर वेतन आहरण करना भूल गई। वेतन नहीं मिलने का दर्द है उसके बावजूद ये नर्सेज कोरोना योद्धा के रूप में बिना थके कोविड अस्पताल में मरीजों की सेवा में जुटे हैं। काेविड मरीज व उनके परिजन दिनभर शहर के अस्पतालाें के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल रहा। शहर के 5 प्राइवेट हाॅस्पिटलाें में बेड नहीं है। एमबीएस अस्पताल में भी बेड के लिए मना किया जा रहा है। नए अस्पताल में भी एडमिशन नहीं कर रहे यही जवाब दिया जा रहा है। मरीज के परीजन मरीजो के लेकर पूरी रात भटकते रहते है। कोविड मरीजों को मेडिकल काॅलेज अस्पताल में सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है न अस्पतालों में उन्हें बेड मिल रहे और न ही भर्ती मरीजों को प्रॉपर ऑक्सीजन। कोरोना महामारी के बीच कोटा में ऑक्सीजन की कमी अब मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। हालात बदतर हो चुके हैं, मरीज अपने बीमार परिजन को लेकर सुबह से शाम तक भटक रहे हैं, लेकिन कोई भी हॉस्पिटल एडमिट करने को तैयार नहीं। एमबीएस व न्यू मेडिकल कॉलेज स्थित कोविड हॉस्पिटल परिसर में सुबह से शाम तक कई मरीज इसी इंतजार में बैठे रहते हैं कि उन्हें बेड मिल जाएगा। दुष्यंत गहलोत ने बताया कि कोटा के हालात विस्फोटक होते जा रहे है। गम्भीर मरीजों को बेड तक नही मिल रहे है। अस्पताल में बेड नहीं मिलने के कारण उनके रिश्तेदार की मौत हो गई। दुष्यंत ने बताया कि उनके जीजाजी की मां को कफ की शिकायत थी। अल सुबह से ही अस्पतालों में चक्कर काटे। कहीं भी बेड खाली नहीं मिला। जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों के फोन किये, फिर भी बेड की व्यवस्था नहीं हुई। आखिर 8 बजते बजते तो उनका दम टूट गया। दुष्यंत गहलोत ने बताया कि अस्पताल में खाली बेड की जानकारी के लिए दोपहर 3 बजे के लगभग सहायक नोडल अधिकारी, न्यू मेडिकल कॉलेज डॉ प्रद्युमन गोयल के नम्बर पर फोन लगाया। जो भीलवाड़ा जिले के राजाजी का करेड़ा गांव निवासी एक व्यापारी छीतरमल ने उठाया। छीतरमल ने बताया कल रात से दोपहर तक सेकंडों फोन आ चुके है। सभी पीड़ित खाली बेड व ऑक्सीजन सिलेंडर के बारें में पूछ रहे है। हर दो मिनट में घण्टी बज रही है। फोन उठाते उठाते परेशान हो चुका हूं। लिस्ट में गलती से मेरा नम्बर प्रिंट हो गया। फिर नोडल अधिकारी उपसचिव यूआईटी चंदन दुबे के मोबाइल नम्बर पर फोन किया। फोन देर तक व्यस्त आया। इसके बाद उन्होने मेडिकल काॅलेज अधीक्षक डाॅ.सुशील कुमार सोनी के भी कई बार फोन लगाया परन्तु उन्होने भी फोन नहीं उठाया। इसके बाद संजीवनी हॉस्पिटल बोरखेड़ा में सहायक नोडल अधिकारी डॉ. हरिनन्दन मीणा के नम्बर पर बात की। डॉ. हरिनन्दन ने बताया कि उन्हें अस्पताल में खाली बेड की स्थिति का पता नहीं। वो खुद लैब में काम कर रहे है। फिर नोडल अधिकारी उपसचिव यूआईटी मोहम्मद ताहिर के नम्बर पर फोन लगाया पर फोन नहीं लगा।ऐसे कई पीड़ित मरीज व तीमारदार, अधिकारियों के फोन लगा लगाकर थक चुके। कुछ अधिकारियों ने फोन उठाया जबकि कई अधिकारियों का फोन व्यस्त आता रहा। जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था भी आमजन को राहत नहीं दिला पा रही।