मुंबई में मौत की इमारत:इस जर्जर इमारत में रहने को मजबूर हैं 45 परिवार, यहां बिजली-पानी का कनेक्शन तक नहीं; डर से दूधवाला और डाकिया भी नहीं आता
मुंबई
परिवार के सदस्य इसी तरह जान जोखिम में डाल कर इस इमारत में अंदर आते और जाते हैं।
मुंबई में मानसून की दस्तक के साथ जर्जर हो चुकी इमारतों के गिरने का खतरा पैदा हो गया है। पिछले सप्ताह मलाड के मलवाणी इलाके में एक चार मंजिला इमारत गिर पड़ी और इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद MHADA ने मुंबई की 21 सबसे खतरनाक जर्जर इमारतों की लिस्ट जारी की है। इन इमारतों में रहने वाले करीब 700 लोगों की जिंदगी खतरे में है। इनमें से चूनाभट्टी के टाटानगर में स्थित एक तीन मंजिला इमारत भी शामिल है। अभी इसमें 45 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं।
पिछले तीन साल से BMC, इसे खतरनाक इमारत की श्रेणी में डाल रही है, लेकिन यहां के लोग इसे छोड़ने को तैयार नहीं है। इमारत के हाल ऐसे हैं कि यह कभी भी गिर सकती है। इसकी दशा इतनी खराब है कि यहां रहने वालों को रस्सी के सहारे एक तरफ से दूसरी तरफ जाना पड़ता है। बिल्डिंग का स्लैब पूरी तरह से टूट गया है और सेफ्टी वॉल के नाम पर बची है सिर्फ जंग लगी लोहे की रॉड।
1960 में इस इमारत का निर्माण हुआ था। पहले यहां 123 परिवार रहते थे।
न दूधवाला आता है और न डाकिया
यहां रहने वाले महेंद्र सदाशिव कांबले बताते हैं, ‘मैं यहां पिछले 65 साल से यहां रह रहा हूं, मेरा जन्म भी यहीं हुआ। अब यह इमारत जर्जर हो चुकी है। BMC ने यहां लाइट काट दी है। इसके कई हिस्सा गिर रहे हैं। इस इमारत में डर के कारण डाकिया, दूधवाला और अखबार वाला भी नहीं आता। सब कहते हैं कि इस इमारत में जाना मतलब मौत को गले लगाना है। हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम इसे रिपेयर करवा सकें। बिल्डिंग का मामला अदालत में पेंडिंग है।’
कई साल से कोई मेहमान भी नहीं आया
कांबले बताते हैं, ‘यहां कभी जाली टूटती है, कभी सीलिंग गिरती है। हमें डर लगा रहता है, लेकिन हमारे पास पैसे ही नहीं है। हम बाहर नहीं जा सकते। स्थानीय विधायक ने भी काफी प्रयास किया, लेकिन वे भी कुछ नहीं कर सके। हम हर दिन रस्सी पकड़ कर अंदर जाते हैं और रस्सी पकड़ कर लौटते हैं। हमारे यहां न तो कोई मेहमान आता है और न ही कोई सिलेंडर वाला।’
इमारत की सीलिंग भी जर्जर होकर गिरती रहती है।
21 साल से इस इमारत को नहीं किया गया रिपेयर
इस इमारत का निर्माण 1960 में स्वदेशी काटन मिल की ओर से करवाया गया। यह मिल साल 2000 में बंद हो गई। करीब 21 साल से इस इमारत की किसी ने देखरेख नहीं की है। यहां रहने वालों का कहना है कि वे कई बार इसके पुनर्निर्माण की मांग उठा चुके हैं, लेकिन BMC की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। अभी यहां 100 से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं।
वहीं, BMC का दावा इससे अलग है। वे पिछले तीन साल से इस इमारत को जर्जर साबित कर लोगों को यहां से जाने का आग्रह कर चुकी है, इसके बावजूद कोई इसे छोड़ने को तैयार नहीं है।
Bureau Chief
साकिब हुसैन
INDIAN TV NEWS
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