लखनऊ,12 जुलाई 2023 (यूएनएस)। यूपी के पिछले चुनावों में बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आई। अब फिर, लोकसभा चुनाव 2024 करीब है। विपक्ष एक बार फिर एकजुट हो रहा है। पहले बिहार, फिर बेंगलुरु में महागठबंधन की बैठक होने जा रही है। इसमें तय होने वाली रणनीति के खिलाफ बीजेपी ने भी ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। 2014 लोकसभा चुनावों के बाद से ही प्रचार में सोशल मीडिया का इस्तेमाल लगातार बढ़ता गया है। आने वाले चुनाव से पहले फिर एक बार प्रमुख पार्टियां सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रचार में जुटीं हैं। वहीं अगर भाजपा की बात करें तो अन्य दूसरी पार्टियों से कही आगे है। सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स भी बाकी पार्टियों से ज्यादा है। इनफ्लुएंसर मीट भी बीजेपी ज्यादा करती है। चाहे 2014 और 2019 का लोकसभा हो या फिर 2017 और 2022 का विधानसभा। इन सभी चुनाव में बीजेपी ने सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क स्थापित किया। साथ ही लोगों की भावनाओं को भी जानने की कोशिश की। इसका नतीजा यह रहा कि इन चारों ही चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई। एक बार फिर से जब लोकसभा चुनाव करीब है तो विपक्षी पार्टियों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा है कि सोशल मीडिया पर किस तरह से पकड़ बनाए कि बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला जा सके। 2014 से बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही किसी न किसी राज्य में विधायकों से लेकर सांसदों ने भाजपा ज्वाइन कर लिया। इसका ताजा मामला महाराष्ट्र का है। जहां पिछले 1 सालों से लगातार राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल रही है। अब जब लोकसभा चुनाव में 8 महीने से भी कम का समय बाकी है। ऐसे यूपी में समाजवादी पार्टी की सहयोगी रही सुभासपा के बीजेपी के साथ गठबंधन होने की सुर्खियां तेज हो गई हैं। वहीं दूसरी तरफ सपा की दूसरी सहयोगी रालोद के भी बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चाएं है। इसको लेकर कहीं ना कहीं अब अखिलेश को उत्तर प्रदेश की पश्चिम लोकसभा सीटें खोने का डर सताने लगा है।