कैमोर।तीन वर्ष पहले विधायक संजय सतेंद्र पाठक द्वारा कैमोर को शासकीय ITI कॉलेज की सौगात दी गई थी, लेकिन यह सौगात आज भी अपने वास्तविक स्वरूप में नहीं उतर पाई है। लाखों–करोड़ों रुपये की योजनाओं और सरकारी दावों के बीच कैमोर का शासकीय ITI आज भी संकरी गलियों में बने एक किराए के मकान से ही संचालित हो रहा है।स्थानीय लोगों और छात्रों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण ITI के लिए न तो स्थायी भवन तैयार हुआ और न ही कॉलेज में वह सुविधाएँ हैं, जिनका दावा फाइलों में किया गया है। स्थिति यह है कि संकरी गलियों में बने किराए के मकान में छात्रों को न तो पर्याप्त लैब मिल पा रही है, न ही सुरक्षा और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा रहा है।
तीन साल में भवन निर्माण का कार्य शुरू तक नहीं
सरकारी फंड स्वीकृत होने के बावजूद भवन निर्माण का कार्य अब तक शुरू नहीं होना कई सवाल खड़े करता है। आखिर वह कौन-सा विभाग या अधिकारी है जो फाइल को तीन साल से धूल खिलने दे रहा है?
छात्रों का भविष्य दांव पर
अपर्याप्त क्लासरूम, लैब की कमी और कक्षाओं के असुरक्षित माहौल के कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा मिलना दूर की बात हो गई है।
स्थानीय लोगों का आरोप — प्रशासन उदासीन
स्थानीय लोगों ने अधिकारियों पर यह कहते हुए सवाल उठाए कि लगातार शिकायतों के बावजूद न तो निरीक्षण किया गया और न ही कॉलेज के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया आगे बढ़ी।
राजनीति की घोषणा, पर जमीन पर शून्य काम
विधायक ने ITI की घोषणा कर इसे कैमोर के युवाओं को रोजगार से जोड़ने की बड़ी पहल बताया था, लेकिन विभागीय उदासीनता ने यह योजना कागजों में ही सीमित कर दी है।
अब जिम्मेदारी किसकी?
तीन वर्षों में स्थायी भवन न बना पाना शिक्षा विभाग, निर्माण एजेंसी और प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।क्या अधिकारी जवाब देंगे कि युवा कब तक संकरी गलियों के किराए के कमरों में तकनीकी शिक्षा लेने को मजबूर रहेंगे?
कैमोर से श्याम गुप्ता की रिपोर्ट ।