निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस यूजी पाठ्यक्रम की फीस कम करने के उपाय हो – सांसद डांगी उम्मेद जोया नाडोल (पाली) रिपोर्टर
। सांसद नीरज डांगी ने सदन में विशेष उल्लेख के जरिये देश में महंगी और आर्थिक रूप से वंचित होनहार छात्रों की पहुँच से बाहर होती चिकित्सा शिक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बढ़ती फीस पर रोक लगाने और विदेशों की भाँति भारत में भी एमबीबीएस यूजी पाठ्यक्रम की फीस कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सांसद डांगी ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा में 13 लाख छात्र योग्य पाए गए, जबकि देश के 702 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की मात्र 1,08,990 सीटें ही उपलब्ध हैं। ऐसी स्थिति में 12 लाख से अधिक योग्य छात्र सीटों से वंचित रह जाते हैं। आर्थिक रूप से सक्षम छात्र प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को चुनते हैं, जहाँ फीस डेढ़ करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी है, जबकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, जॉर्जिया, चीन आदि देशों में जाना मजबूरी समझते हैं, जहाँ पूरी एमबीबीएस की लागत भारत की तुलना में सिर्फ 15–20 लाख रुपये (लगभग 25%) ही होती है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा से संबंधित संसदीय समितियों ने फरवरी 2024 में लोकसभा व राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की लागत कम करने तथा आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्ग के छात्रों को सहायता प्रदान करने की अनुशंसा की है।
सांसद नीरज डांगी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि जब अन्य देशों में मात्र 15–20 लाख में एमबीबीएस शिक्षा उपलब्ध हो सकती है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल शिक्षा को सुलभ बनाना चाहिए, ताकि भारत के होनहार छात्रों को विदेश जाकर पढ़ाई न करनी पड़े। प्रदेश कांग्रेस महासचिव एससी विभाग दिनेश मेघवाल ने सांसद नीरज डाँगी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम लाखों गरीब एवं मेहनतकश परिवारों के बच्चों के लिये उम्मीद की किरण है।