इंडियन टीवी न्यूज़ से ब्यूरो चीफ मयंक यादव की रिपोर्ट
जनपद बिजनौर के अफजलगढ़ में इन दिनों आवारा कुत्ते केवल जानवर नहीं, बल्कि चलती-फिरती मौत बन चुके हैं। बार-बार घटनाएं हो रही हैं, मासूम बच्चे नोचे जा रहे हैं, लोग दहशत में जी रहे हैं मगर हैरानी की बात यह है कि प्रशासनिक सिस्टम पूरी तरह बेहिस, लापरवाह और मूकदर्शक बना बैठा है। शुक्रवार को मोहल्ला फैजी कॉलोनी में सात वर्षीय मासूम यासमीन को पांच खूंखार कुत्तों ने हमला कर नोच-नोचकर मार डाला। इससे पहले मोहल्ला हाशिमपुरा, मियांवाली, मोहल्ला इमामबाड़ा और रेलवे फाटक के पास कई बच्चे और बुजुर्ग इन कुत्तों के हमले का शिकार हो चुके हैं। दर्जनों घायल हो चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था की आंखें तब भी नहीं खुलीं। हर घटना के बाद एक ही ढकोसला टीम गठित की जा रही है कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलेगा कार्रवाई की जाएगी लेकिन हकीकत यह है कि आज तक एक भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया नगर पालिका के पास न फंड की कमी है, न संसाधनों की कमी है तो सिर्फ इच्छाशक्ति की और जवाबदेही की। सवाल यह है कि जब लगातार घटनाएं हो रही हैं, अखबारों में सुर्खियां बन रही हैं, तो अफसर क्यों नहीं जाग रहे क्या अफजलगढ़ को कोई योजना या सुरक्षा केवल फाइलों में ही मिलनी है क्या मासूम बच्चों की लाशों के ढेर लगने के बाद ही कोई कार्रवाई होगी स्थानीय लोगों का कहना है कि कुत्तों के झुंड दिनदहाड़े गलियों में घूम रहे हैं, स्कूल जाने वाले बच्चों को डर के साये में निकलना पड़ रहा है, मगर अफसरशाही सिर्फ AC कमरों में बैठकर समीक्षा बैठक” करने में व्यस्त है। लोगों में अब भारी आक्रोश है मोहल्ले-मोहल्ले में लोग पूछ रहे हैं क्या अफजलगढ़ प्रशासन तब जागेगा जब हर घर से जनाज़ा उठेगा यह हालात सिर्फ लापरवाही नहीं, सरासर प्रशासनिक अपराध हैं। जब पूरे कस्बे में दहशत का माहौल है, तब भी कोई स्थायी समाधान नहीं निकलना, यह साबित करता है कि जान की कीमत यहां कागज के टुकड़ों से भी कम रह गई है अब जनता को सिर्फ आश्वासन नहीं, एक्शन चाहिए। अगर यही हालात रहे, तो जनता को सड़कों पर उतरना पड़ेगा क्योंकि अब चुप रहने की कीमत मासूमों की जान से चुकानी पड़ रही है। प्रशासन जवाब दे कुत्तों के आतंक का अंत कब होगा या फिर हर दिन ऐसे ही एक नई यासमीन की लाश खबर बनती रहेगी।