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कलेक्टर, सी एम एच ओ , सहित अन्य अधिकारियों ने ग्राम नरवार 25 में लगाई जन चौपाल

कलेक्टर, सी एम एच ओ , सहित अन्य अधिकारियों ने ग्राम नरवार 25 में लगाई जन चौपाल।

रिपोर्टर विजय कुमार यादव

ग्राम नरवार 25 में लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी से ग्रामीणों को सतर्क रहने की दी गई समझाईश सतर्कता ही लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी का इलाज- कलेक्टंर।

उमारिया। चंदिया तहसील के ग्राम नरवार 25 में लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी से आम जनो को सतर्क करने के उद्देश्य से कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन की उपस्थिति में जन चौपाल का आयोजन किया गया।
कलेक्टर संबोधित करते हुए कहा कि सतर्कता ही लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी का इलाज है। खाद्य वस्तु को उपयोग करने से पहले उसे अच्छी तरह से धोले , उसके बाद ही वस्तु का उपयोग करे। उन्होंने कहा कि घर मे साफ सफाई का वातावरण बना कर रखे। यदि लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी के लक्षण किसी ग्रामीण जन में दिखे तो नजदीकी उप स्वास्थ्य केंद्र में जनकारी दे, ताकि संबंधित को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा उसे इलाज मुहैया कराया जा सके। इस बीमारी से डरे नही । सी एम एच ओ डॉक्टर आर के मेहरा ने कहा कि ग्राम नरवार 25 में 40 परिवार जनों के 235 सदस्यों का सर्वे किया गया जिसमे 26 संभावित संक्रमित लोगो की सेम्पलिंग कराई गई । जो नेगेटिव पाए गए। पूर्व में चुटदानी यादव पॉजिटिव पाए गए थे, जो उपचार के बाद स्वस्थ है।
उन्होंने कहा कि लेप्टोस्पाइरासिस का कारण बनने वाले वैक्टीरिया संक्रमित जानवरों मुख्य रूप से चूहा एवं कई तरह के अलग-अलग जंगली और घरेलू जानवरों के मूत्र के माध्यम से फैलते है जो पानी या मिट्टी में मिल सकते है और वहां हप्तों से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते है यह संक्रमित जानवरों से मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। यह जूनोटिक बीमारी कहलाती है एवं यह गैर संक्रामक बीमारी है। लेप्टोस्पाइरासित दो चरणो में हो सकता है पहले चरण में रोगी को बुखार, ठण्ड लगना, सिर दर्द, मांस पेशियों में दर्द, उल्टी आना, दस्त लगना, घबराहट होना आदि होते है। कुछ समय के लिये रोगी ठीक हो सकता है लेकिन फिर से बीमार हो जाता है। दूसरे चरण में रोगी अधिक गंभीर होता है रोगी को किडनी या लीवर फेलियर या मैनिनजाइटिस हो सकता है।
लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी से बचाव के लिए सूखे खाद्य पदार्थ जैसे गेंहू , चावल, दाल, सब्जी को उपयोग से पहले अच्छी तरह से धोएं। लेप्टोस्पाइरासिस बीमारी से सावधान रहने के लिये अपने-अपने घरों में मुख्यतः चूहों को पकड़ने हेतु चूहेदानी का इस्तेमाल करे एवं खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखना एवं बुखार आने पर नजदीकी अस्पताल में सम्पर्क कर खून की जाँच कराना अनिवार्य है। बीमारी का समुचित ईलाज संभव है। घबराने एवं डरने की आवश्यकता नही है। स्वयं दवाई लेने से बचना है, बीमारी के लक्षण आने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार उपचार लेना अत्यंत आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखे तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में आशा एवं ए एन एम को सूचना दे।
उप संचालक पशु चिकित्साक सेवाएं डा के के पांडेय ने बताया कि ग्राम नरवार 25 में पालतू पशुओ की स्क्रीमनिग भी कराई जा रही है । जन चौपाल में अनिल सिंह, खंड चिकित्साो अधिकारी डा व्ही एस चंदेल, एवीएफ चंद्रकांत चतुर्वेदी , जिला कार्यक्रम समन्वयक एसपी गुप्ता स्वास्थ्य सुपरवाइजर ध्रुव त्रिपाठी, एएनएम किरण सिंह एवं आशा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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