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ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर व युवा मंच के संयोजक राजेश सचान की पत्रकार वार्ता

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर व युवा मंच के संयोजक राजेश सचान की पत्रकार वार्ता
सोनभद्र समाचार ब्यूरोचीफ नन्दगोपाल पाण्डेय

भाजपा के विरुद्ध जनता लड़ रही है चुनाव
कॉरपोरेट्स पर टैक्स लगाकर की जा सकती है रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और पेंशन की गारंटी

दुद्धी में पलायन पर रोक के लिए की जा सकती है रोजगार की व्यवस्था

क्षेत्र के विकास पर सभी दल चुनाव में अपनी नीति को स्पष्ट करें

पूरे क्षेत्र में चल रहा है एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 संवाद सम्पर्क अभियान

दुद्धी, सोनभद्र, 16 मई 2024, देश की आर्थिक संप्रभुता को क्षति पहुंचाने, समाज के मैत्री भाव को नष्ट करने और संविधान में दिए हुए लोकतंत्र व न्याय के अधिकार पर हमला करने वाली भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार के विरुद्ध राबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र में जनता चुनाव लड़ रही है। हम अपने एक महीने से चलाए जा रहे एजेंडा लोकसभा चुनाव संवाद सम्पर्क अभियान में गांव-गांव किए हुए सर्वे के आधार पर यह कह सकते हैं कि इस क्षेत्र में जनता भाजपा और उसके सहयोगियों के खिलाफ खड़ी है और इस चुनाव में उनकी हार सुनिश्चित है। यह बातें आज दुद्धी में होटल ग्रीन स्टार में आयोजित पत्रकार वार्ता में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहीं। उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों का मत है कि यदि कॉर्पोरेट घरानों के ऊपर संपत्ति और उत्तराधिकार टैक्स लगा दिया जाए तो देश के हर नागरिक को रोजगार, बेहतर और मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य, वृद्धावस्था पेंशन और आवास के अधिकार की गारंटी की जा सकती है। लेकिन कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने में लगे प्रधानमंत्री मोदी इसे करने की जगह इस सवाल पर देश को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सोनभद्र जिला देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में आता है और दुध्दी का आदिवासी बाहुल्य इलाका तो और भी पिछड़ेपन का शिकार है। चाहे जिसकी भी सरकार रही हो यह इलाका उपेक्षित ही रहा है। यहां बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है और युवा लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी अपनी आजीविका के लिए दूसरे राज्यों में जाकर काम करने के लिए मजबूर हैं। यहां मजदूरों के साथ-साथ बैंकों में जमा लोगों की पूंजी का भी पलायन हो रहा है। इस स्थिति से इस इलाके को बचाया जा सकता है और रोजगार सृजन किया जा सकता है बशर्तें की सरकारें इसे करने की इच्छा शक्ति दिखाएं। यहां सरकार किसानों की सिंचाई के लिए कनहर परियोजना को पूरा किया जाता, बरसाती नालों पर बांधों का निर्माण किया जाता, नौजवानों के कारोबार के लिए ब्याजमुक्त ऋण, महिला स्वयं सहायता समूह के कुटीर व लघु उद्योग के विस्तार के लिए ब्याज मुक्त कर्ज, थर्मल पावर कारखानों से निकलने वाली फ्लाई ऐश पर आधारित ईट उद्योग और जैविक अरहर पैदा करने वाले इलाके में इसकी बड़े पैमाने पर खेती कराई जाए , वन विभाग की खाली जमीनों को फलदार वृक्ष लगाने के लिए गांव की सहकारी समितियां को दिया जाए तो निश्चित रूप से न सिर्फ पलायन पर रोक लगती बल्कि क्षेत्र का पिछड़ापन भी दूर होता। आगे उन्होंने कहा कि इस इलाके की नदी, पहाड़, जंगल की चौतरफा लूट हो रही है। स्थानीय निवासियों की कोऑपरेटिव बनाकर यदि खनन कार्य दिया जाए तो लाखों लोगों के लिए रोजगार सृजन हो सकता है। वनाधिकार कानून भी विफल हो गया दो-दो बार मुख्यमंत्री के आगमन के बावजूद बहुतायत आदिवासी व वनाश्रित अभी भी वनाधिकार में पट्टे आवंटन से वंचित हैं। कथित डबल इंजन की सरकार के बावजूद दुध्दी की लाइफ लाइन कनहर सिंचाई परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से धन का आवंटन नहीं हुआ। इससे न सिर्फ नहर बनाने का काम रुका हुआ है, परियोजना लागत में इजाफा हो रहा है बल्कि विस्थापितों को मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा है। हमारे हस्तक्षेप के बाद शुध्द पेयजल के लिए आरओ प्लांट और वाटर फिल्टर लगाए गए जिनमें से ज्यादातर आज धन के अभाव में खराब पड़े हैं। इन जन मुद्दों पर पूरे इलाके में जन संवाद अभियान चल रहा है और हम उम्मीद करते हैं कि भाजपा के विरुद्ध लड़ रहे विपक्षी दल भी इन सवालों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करेंगे।
युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने कहा प्रति व्यक्ति औसत राष्ट्रीय आय 1.7 लाख के सापेक्ष आम आदमी की आय बेहद कम है और असमानता रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 93 फीसद परिवार 10 हजार रूपए से कम वेतन पर गुजारा कर रहे हैं। कहा कि राष्ट्रीय आय का बहुतायत हिस्सा कारपोरेट्स द्वारा हड़प लिया गया है। लोगों को राष्ट्रीय आय में वाजिब हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने और हर परिवार के एक सदस्य के सरकारी नौकरी का मुद्दा उठाया। कहा कि यहां शिक्षा और स्वास्थ्य बुरा हाल है। शिक्षकों व विशेषज्ञ चिकित्सकों के सृजित पद भी बड़े पैमाने पर रिक्त हैं। आदिवासी-दलित छात्राएं आवश्यक शिक्षण संस्थानों के अभाव में उच्च शिक्षा से वंचित हैं।

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