बचपन को भूल मजदूरी की चक्की में..

कम उम्र के बच्चे फटेहाल सड़कों के किनारे मूंगफलियां-चने बेचते, ढाबों में बर्तन मांजते या मेजें रगड़ते, कूड़े के ढेर में चीजें बीनते,या फिर सड़कों पर भीख मांगते नजर न..!

देश में लगभग कई करोड़ बच्चे ऐसे हैं जिन्हें गुजर-बसर के लिए अपने बचपन को भूल मजदूरी की चक्की में पिसना पड़ता है। जिस बच्चे को किसी पाठशाला में होना चाहिए, वह दो वक्त की रोटी के लिए मारा-मारा फिर रहा है। वैसे, उसकी इस दशा के लिए काफी हद तक देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या जिम्मेदार है, लेकिन सारा दोष अकेले जनसंख्या का नहीं है। बहुत कुछ सरकार और प्रशासन व संस्थाओं की उदासीनता और लापरवाहियों से बिगड़ा है!सुधार की ज्यादातर प्रक्रियाएं नीति-निर्माण और कार्य-निर्धारण तक सिमट कर रह जाती हैं। उनका व्यावहारिक रूप एक दिवास्वप्न साबित होता है!ऐसे में समस्या दूर होने के बजाय उसका विस्तार जरूर हो जाता है।ऐसा ही कुछ बाल मजदूरी जैसी गंभीर समस्या के साथ भी हुआ है। इस समस्या को लेकर बरती गई लापरवाहियों से यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है।देश का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जहां चौदह साल से कम उम्र के बच्चे फटेहाल सड़कों के किनारे मूंगफलियां-चने बेचते, ढाबों में बर्तन मांजते या मेजें रगड़ते, कूड़े के ढेर में चीजें बीनते,या फिर सड़कों पर भीख मांगते नजर न आते हों। ढाबा मालिकों की मार तो जैसे वे अपनी किस्मत में लिखवा कर लाए हों!देश में बच्चों की एक बड़ी संख्या भीख के कटोरों तक सिमटी हुई है। इसमें कई गिरोह भी लगे हुए हैं। लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए गिरोह के लोग अक्सर बच्चों के अंग भंग कर देते हैं। एक बड़ी संख्या उन बच्चों की भी है जो कूड़े के ढेरों में खोए नजर आते हैं। ये बच्चे सुबह-सवेरे ही बोरियां उठाए निकल पड़ते हैं। कबाड़ियों के पास काम कर रहे इन बच्चों का खेल कूड़े में चीजें बीनना है। बाल मजदूरी और बंधुआ बाल मजदूरी से कई मोर्चों पर लड़ने की जरूरत है। इस दिशा में ‘मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा’ को प्रभावी ढंग से लागू करने से उत्साहवर्द्धक परिणाम निकल सकते हैं, क्योंकि निरक्षरता और बाल मजदूरी का चोली दामन का साथ है! कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ-साथ बाल मजदूरों और बंधुआ बाल मजदूरों के लिए ऐसी जगह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है, जहां व मुक्त कराए जाने के बाद जा सकें! बच्चों के मां-बाप के सामने ऐसे विकल्प होने चाहिए कि उन्हें बच्चों को मजदूरी के लिए न भेजना पड़े। ऋण अनुबंधों या बंधुआ बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, व्यावहारिक शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे कारण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस दिशा में सरकार और गैर-सरकारी संगठन मिलकर काम कर सकते हैं। साथ ही इन कार्यक्रमों से लोगों को भी जोड़ना होगा। ऐसे सामूहिक प्रयास निश्चित ही बाल मजदूरी और बंधुआ बाल मजदूरी को समाप्त करने में बड़ा योगदान दे सकते हैं।

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