खाने के नाम पर दिखावट के नाम पर इतना ज्यादा खर्च कि मध्यम एवं न्यून परिवार सोचने पर विवश..!
आजकल शादी के नाम पर खूब खर्चा और धन का प्रयोग किया जाने लगा है! हर छोटा बडा आदमी अपनी हैसियत से ज्यादा खर्चा करता है!कहने को दहेज लेना व देना कानूनन अपराध है लेकिन खुलेआम दोनो ही काम डंके की चोट पर किये जाते है! समाज के कुछ लोगो ने कई बार आवाज उठाई लेकिन दहेज एक ऐसा अभिशाप है जो कभी भी खत्म होने का नाम नही लेता यह दहेज रूपी दानव हमारे अन्दर एक बीमारी की तरह प्रवेश कर चुका है सामाजिक संगठनों के बैनर तले हम बैठ कर दहेज न लेगें और न देगें का प्रण तो अवश्य ले लेते है परन्तु जब हमारे घर परिवार में शादी होती है तो हम सब प्रण भूल जाते है! दहेज को समाप्त करने में यह दोगला चरित्र कही न कहीं बड़ी बाधा बना हुआ है!अब तो शादियों में खाने के नाम पर दिखावट के नाम पर इतना ज्यादा खर्च किया जाने लगा है कि एक मध्यम एवं न्यून परिवार को सोचने पर विवश होना पड़ रहा है!इस प्रतिस्पर्धा में मध्यम वर्ग बूरी तरह पिस कर रह गया है शादी एक ऐसा विषय है जिसमें हर इंसान अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च करता है लेकिन फिर भी उसकी सामर्थ्य कही न कहीं जवाब दे देती है। अब शादीयों के नाम पर लेने व देने का रिवाज अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है! माना कि दहेज लेना व देना दोनो कानूनन अपराध है और एक सामाजिक समस्या भी!लेकिन फिर भी आज तक निरन्तर चली आ रही यह कुप्रथा घटने के नाम पर प्रतिदिन बढ़ ही रही है इससे निजात पाने के लिए भावी पीढी को मिलकर सोचना होगा तथा जरूरी कदम उठाने होगें तथा यह प्रण करना होगा कि हम दहेज रूपी दानव को समाज से हर हाल में खत्म करेगें यह एक नारा ही नही बल्कि वास्तविक अमल में लाया जाने वाला कारगर कदम भी होना चाहिए।
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़