सरकार के फैसलों पर भारी पड़ रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी
संवाददाता गजेंद्र सिंह यादव
सरकार द्वारा गुरुजी संवर्ग हित में लिए गए फैसलों को विभाग के आला अधिकारियों द्वारा उक्त संवर्ग को क्रमोन्नति, पदोन्नति एवं वेतन लाभों से वंचित करने के उद्देश्य से बड़ी चतुराई से परिवर्तित कर आदेश प्रसारित किए गये है।
विभाग में बैठे अधिकारियों द्वारा उपेक्षा अनवरत चालू है जिसका सामना गुरुजी संवर्ग से नियुक्त शिक्षकों को हर समय करना पड़ रहा है।
आदर्श शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र गुर्जर ने बताया कि संगठनों की मांग पर कर्मी कल्चर खत्म कर नया संवर्ग बनाने की सरकार की मंशा से राज्य शासन के आदेश क्रमांक / 3095 / 4473 / 05 / 01 / 3 भोपाल दिनांक 19.12.2005 द्वारा शिक्षाकर्मी, गुरुजी एवं संविदा शिक्षकों के भेदों को समाप्त कर उनके नियमितीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए श्री डी.पी. दुबे की अध्यक्षता में एकल समिति का गठन किया गया। और श्री डी.पी.दुबे की अनुशंसा के आधार पर नया (अध्यापक) संवर्ग बनाया गया। जिसमें 1.4.2007 से श्री डीपी दुबे कमेटी की अनुशंसा के आधार पर जब तीनों संवर्गों (शिक्षा कर्मी, गुरुजी और संविदा शिक्षकों) को नये (अध्यापक) संवर्ग में संविलियन करते हुए वेतन निर्धारण का लाभ दिया जाना था। बस तभी से गुरुजी संवर्ग के साथ उपेक्षा का दौर शुरू हुआ और दो संवर्गों (शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक) को अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर पूर्व के सेवाकाल की गणना पदोन्नति, क्रमोन्नति एवं वेतन निर्धारण के लिए की गई पर श्री डीपी दुबे कमेटी की गुरुजी संवर्ग के लिए की गई अनुशंसा *”गुरुजी संवर्ग के शिक्षकों से पात्रता परीक्षा लेकर उनका नये संवर्ग में संविलियन किया जाए और पूर्व के सेवा काल की गणना क्रमोन्नति, पदोन्नति एवं वेतन निर्धारण के लिए किया जाए”* से इतर जाकर विभाग के आला अधिकारियों ने *अध्यापक संवर्ग में “संविलियन”* करने के स्थान पर *संविदा “नियुक्ति”* करदी तथा पूर्व की सेवा अवधि (11-14 वर्ष) को शून्य कर दिया।
जिसकी वजह से गुरुजी संवर्ग के प्राथमिक शिक्षकों को अपने समान कार्य करने वाले अन्य संवर्ग से नियुक्त प्राथमिक शिक्षक साथियों से ₹18000 से ₹ 20000 प्रतिमाह कम वेतन मिल रहा है।
गजेन्द्र गुर्जर ने बताया कि गुरुजी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने वाले शेष गुरुजियों के भविष्य को देखते हुए सरकार की मंशानुरूप शासन ने पूर्व से योग्यता प्राप्त (डी. एड./डी.एल.एड. एवं प्रशिक्षणों) के आधार पर 10.02.2014 में संविदा वर्ग-3 में नियुक्ति दे दी है। पर उस समय भी उपरोक्त योग्यता पूरी न होने से मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 400 गुरुजी शेष रह गए हैं। जिन्होंने वर्तमान में योग्यता पूर्ण कर ली और संविदा बनने के लिए अपने आवेदन संकुल कार्यालय, डीपीसी कार्यालय पर जमा भी किए और राज्य शिक्षा केंद्र तक भेज कर निरंतर प्रयास किए। पर फिर भी विभाग के अधिकारियों, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा संविदा नियुक्ति कराए जाने के आदेश करने से मना कर दिया।
सेवा में निरंतर वृद्धि के अवसर के प्रावधानों को सिर्फ़ कानूनी किताबों तक सीमित रखते हुए शेष गुरुजियों को जिनकी सेवाएं 25 वर्ष से अधिक की हो गई है उन्हें 3600 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है, जो कि शोषण की पराकाष्ठा है।
जबकि 10.02.2014 में जारी शासनादेश के आधार पर शेष गुरुजियों को जिन्होंने वर्तमान में योग्यता पूरी कर ली है उन्हें संविदा शिक्षक वर्ग-3 बनाया जा सकता है पर अधिकारी गुरुजी संवर्ग विरोधी मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं।
गजेन्द्र गुर्जर ने बताया कि अन्याय अभी खत्म नहीं हुआ है प्रदेश में गुरुजी संवर्ग से नियुक्त शिक्षक जो वर्तमान में प्राथमिक शिक्षक बन गए हैं, एक तरफ तो उनकी (11 वर्ष की) सेवा पहले ही शून्य कर दी है और दूसरी तरफ जब उन्हें क्रमोन्नति देने का समय आया तो जबलपुर , छिंदवाड़ा, शिवपुरी और कटनी जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा म.प्र. शासन स्कूल शिक्षा विभाग तथा लोक शिक्षण संचालनालय के निम्नांकित आदेश की अवहेलना करते हुए अलग ही नियम बताकर गुरुजी संवर्ग के प्राथमिक शिक्षकों की 12 वर्ष पूर्ण हेतु सेवा की गणना संविदा नियुक्ति आदेश दिनांक से की जा रही है जो कि गुरुजी के संदर्भ में सही नहीं है क्योंकि शासन ने गुरुजी की सेवा निरंतर मानते हुए गुरुजी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण दिनांक को ही संविदा नियुक्ति मान्य किया है और आदेश 2 वर्ष बाद किए गए हैं।
जबकि मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में म.प्र.शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के आदेश क्र एफ 44-56/07/20-2 दिनांक 05.10.2009 के अनुसार ही संविदा नियुक्ति तिथि 17.09.2008 (जो कि पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण दिनांक ही है) से क्रमोन्नति हेतु गणना की गई है। पर कुछ जिलों में जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा इस तरह अपने अधिकारों का गलत