भाजपाइयों ने गोष्टी कर दसवें सिख गुरु पर दिया संदेश

भाजपाइयों ने गोष्टी कर दसवें सिख गुरु पर दिया संदेश
सोनभद्र समाचार ब्यूरोचीफ नन्दगोपाल पाण्डेय

सोनभद्र। मंगलवार भारतीय जनता पार्टी नगर इकाई द्वारा रामलीला मैदान परिसर में दसवें सिक्ख गुरु, श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के दो छोटे पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह जी की स्मृति में भाजपा द्वारा चल रहे 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक चल रहे कार्यक्रम के अन्तर्गत वीर बाल दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न हुयी संगोष्ठी मे बतौर मुख्यअतिथि भाजपा अनुसूचित मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष अजीत रावत मौजूद रहे संगोष्ठि का शुभारम्भ पं0 दीनदयाल उपाध्याय व डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया।
मुख्यअतिथि भाजपा अनुसूचित मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष अजीत रावत ने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी की राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत- देश को पहले रखने- के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एक गहन संकल्प के रुप मे प्रति ध्वनीत होती है श्री गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्र अर्थात साहिबजादा श्री अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर और साहिबजादा श्री फतेह सिंह इस प्रतिबद्धता का उदाहरण देते है। मुगल सेना ने गुरु गोविन्द सिंह की सेना पर हमला कर दिया आनन्दपुर साहिब किला संघर्ष का प्रारंम्भिक विन्दु था सिरसा नदी के तट पर एक लंबी लड़ाई के बाद परिवार विभाजीत हो गया बाद मे नवाबो ने साहिबजादो को इस्लाम अपनाने के लिए कहा लेकिन उन्होने ने इन्कार कर दिया और अपने धर्म के प्रति अपने प्रेम की अटूट श्रद्धा को प्रदर्शित किया। एक ओर मजहबी कट्टरता मे अंधी शक्तिशाली मुगल सल्तनत थी वहीं दूसरी ओर ज्ञान से जगमगाते और भारत के प्राचीन सिद्धांतो के अनुसार जीने वाले हमारे गुरु श्री गोविन्द सिंह जी थे एक ओर आतंकी और मजहबी कट्टरता की पराकाष्ठा थी तो दूसरी ओर आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा और हर इंसान मे ईश्वर को देखने की दयालुता थी मुगलों के पास लाखों की सेना थी तो गुरु गोविन्द के वीर साहिबजादों के पास साहस था वे अकेले होते हुए भी मुगलों के सामने नही झुके तभी मुगलों ने उन्हे जिंदा दीवार मे चुनाव दिया यह इनकी वीरता ही है जो सदियों से प्रेरणा का श्रोत बनी हुयी है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए नगर अध्यक्ष बलराम सोनी ने कहा कि वीर बाल दिवस संगोष्ठी के अवसर पर वीर साहेबजादे द्वारा प्रदर्शित साहस और दृढ़ संकल्प एक प्रमाण के रुप मे खड़ा है। जो औरंगजेब और उसके अनुयायियों को एक शक्तिशाली संदेश देता है कि युवा पीढ़ी कु्ररता के आगे झुकने से इंकार करती है और देश का मनोबल को बनाये रखने के लिए दृढ़ संकल्पित रहती है यह राष्ट्र की नियति को आकार देने मे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जिससे वीर बाल दिवस को अतिरिक्त महत्व मिलता है। भारतीय इतिहास में इस घटना को बाद मे साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह द्वारा दिये गये सर्वोच्च बलिदान के रुप मे याद किया गया। धर्म परिवर्तन के लिए जब एक छः साल और नौ साल के बच्चों के उपर मुगलों द्वारा दबाव बनाया गया तो उन्होने बहुत बहादुरी से बोलते हुए कहा कि जोरावर जोर से बोला, फतेह सिंह शोर से बोला, धरो ईंटे भरों गारे, चिनों दीवार हत्यारे हमारी सांस बोलेगी हमारी लाश बोलेगी यही दीवार बोलेगी हजारों बार बोलेगी जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल इस मौके पर ओम प्रकाश दूबे, प्रकाश केशरी, संजय जायसवाल, सरदार दया सिंह, रजनीश रघुवंशी, विनय श्रीवास्तव, धीरेन्द्र पाण्डेय, अशोक भारती, धर्मवीर त्यागी, सरोज केशरी, रूबी गुप्ता, रूबी गोस्वामी, ज्योति गुप्ता, किरन त्रिपाठी, नीरज विश्वकर्मा, विजय खरवार, अजय श्रीवास्तव, सरदार सतपाल सिंह, अमन वर्मा, सरदार गुरुबचन सिंह अन्य और भी महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे,

Leave a Comment