सबसे बड़ा तीर्थ “शुद्धचित तीर्थ” अर्थात सत्संग है– संत रामपाल जी महाराज
गुना/मध्यप्रदेश: 5 जनवरी 2025 को संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में गुना के म्याना, बामोरी, और चाचौड़ा में एक दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया। यह सत्संग संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा एलसीडी के माध्यम से प्रसारित किया गया। दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने संत जी के मंगल प्रवचन बड़े ही ध्यानपूर्वक सुने।
सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि असंख्य ब्रह्मांडों के स्वामी कविर्देव ही परमात्मा हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कविर्देव ने संपूर्ण सृष्टि की रचना की और वे तीसरे धूलोक में विराजमान हैं। प्रोजेक्टर के माध्यम से चार वेद, छह शास्त्र, और अठारह पुराणों के प्रमाण दिखाते हुए बताया गया कि कविर्देव पापों के शत्रु हैं और बंधनों को काटने वाले बंदीछोड़ हैं। वे स्वयंप्रकाशित लोक, सतलोक में राजा के समान विराजमान हैं। (यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 32)
सत्संग के दौरान जिला संयोजक करण दास ने बताया कि पूज्य संत रामपाल जी महाराज पवित्र ग्रंथों से प्रमाणित करते हैं कि सभी तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ तीर्थ “शुद्धचित तीर्थ” है, जिसे सत्संग कहा गया है। सत्संग के श्रवण से साधक के पाप कटते हैं और उसे मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है।
श्रद्धालुओं ने संत जी के प्रवचनों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सत्य मार्ग पर चलाने का संकल्प लिया।
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जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट
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