छग के इस जिले में मौत का तांडव, बीते 20 दिन में 11 ने की आत्महत्या की कोशिश, 3 की गई जान

छग के इस जिले में मौत का तांडव, बीते 20 दिन में 11 ने की आत्महत्या की कोशिश, 3 की गई जान

 

 

 

Location इंदागाव मैनपुर

 

गरियाबंद। CG SUICIDE : जिले के मैनपुर ब्लॉक स्थित इन्दागांव में एक भयावह सिलसिला शुरू हो गया है, जिसने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया। महज 20 दिनों में 11 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की, जिसमें से 3 की जान चली गई। बाकी 8 को किसी तरह बचा लिया गया, लेकिन कुछ ग्रामीणों का दावा है कि सुसाइड की कोशिश करने वालों की संख्या 15 तक पहुंच चुकी है। ये चौंकाने वाली घटनाएं 3 मार्च से 21 मार्च के बीच हुईं। इस अनहोनी से गांव में दहशत का आलम है। कोई नहीं समझ पा रहा कि आखिर ये सिलसिला शुरू क्यों हुआ और इसे कैसे रोका जाए।

 

हवन में डूबा गांव

3500 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में अब हर तरफ खौफ और अनिश्चितता छाई है। डर के मारे ग्रामीणों ने हवन-पूजन का सहारा लिया है,जानकारी के मुताबिक ग्राम प्रमुख माता देवालय के पास सरपंच, पंच, कोटवार, पटेल, पुजारी और 100 से ज्यादा लोग जमा थे। ग्राम पुजारी सुंदर के नेतृत्व में ग्राम देवी का आह्वान कर शांति की कामना के लिए पूजा चल रही थी। पुजारी सुंदर ने बताया, “लगातार आत्महत्या के प्रयासों ने गांव को झकझोर दिया है। लोग डरे हुए हैं। ये सिलसिला थम नहीं रहा, इसलिए ग्रामीणों की मांग पर देवी की शरण में आए हैं।”

प्रशासन अलर्ट

दूसरी ओर, मामला प्रशासन तक पहुंचते ही हड़कंप मच गया। SDM, SDOP और BMO की टीम ने गांव में कैंप लगाया और लोगों की काउंसलिंग शुरू की। CMHO गार्गी यदु ने बताया कि मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों की एक टीम ने प्राथमिक काउंसलिंग की है और जल्द ही दोबारा गांव का दौरा करेगी। उन्होंने कहा, “हम न सिर्फ आत्महत्या की कोशिश करने वालों की काउंसलिंग कर रहे हैं, बल्कि गांव के हालात का भी जायजा ले रहे हैं। शराब और गांजे की लत यहाँ आम है, जो एक वजह हो सकती है। NGO की मदद से इस संकट से निपटने की कोशिश होगी।”

 

 

 

हालांकि, इन आत्महत्याओं के पीछे कोई ठोस कारण अब तक सामने नहीं आया है। कुछ परिवार अपने लोगों के नाम तक छिपा रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि कोई अलौकिक शक्ति या सामाजिक तनाव इसके पीछे हो सकता है, जबकि प्रशासन इसे मानसिक स्वास्थ्य और नशे की समस्या से जोड़कर देख रहा है। इस अनसुलझे रहस्य के बीच गांव अब हवन की धुनी और काउंसलिंग की उम्मीदों के सहारे सांस ले रहा है। क्या ये प्रयास इन्दागांव को इस काले साये से उबार पाएंगे, ये वक्त ही बताएगा।

 

 

जिला गरियाबंद

 

संवाददाता हेमचंद नागेश की रिपोर्ट

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