
विकास कार्यों के पैसे एक वर्ष में नहीं खर्च कर पाए अधिकारी: डॉक्टर धर्मवीर
सोनभद्र समाचार ब्यूरोचीफ नन्दगोपाल पाण्डेय
31 मार्च को बजट सत्र 2024-25 का क्लोजिंग कर दिया गया
पूरे साल कामकाज का लेखाजोखा निकालने के बाद भी जिले के सरकारी बजट का लगभग 6 अरब 46 करोड़ रुपए हुआ वापस
सोनभद्र। विगत वर्ष जिले में विभिन्न विभागों को मिले विकास कार्यों के बजट का इतना बड़ा रकम खर्च न हो पाने की वजह से जिला प्रशासन के कामकाज पर सवालिया निशान लगने लगे हैं । इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है
इतनी बड़ी रकम सरेंडर होने पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
धर्मवीर तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा भेजे गए विकास के पैसे का वापस जाना इस बात का प्रमाण है कि जिले में अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं। इससे साफ है कि सरकार ने उन अधिकारियों को चुन कर भेजा है, जो आकांक्षी जनपद को पिछड़े जनपद के दंश से बाहर निकाल सके । लेकिन सोनभद्र में अधिकारी विकास का प्लान तक नहीं बना सके, जिसका नतीजा रहा कि इतनी बड़ी रकम सरकार को वापस भेजना पड़ा । बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण जो पैसा वापस शासन को भेजा गया है इसकी समीक्षा व जांच होनी चाहिए । लगातार सोनभद्र में विकास के लिए भाजपा की सरकार खूब धन की खर्च कर रही है लेकिन फिर भी अधिकारियों की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण जिले का समुचित विकास कार्य नहीं हो पा रहा है । जिले में इतने बड़े पैमाने पर डीएमएफ का फंड पड़ा हुआ है लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके पहले लगभग 403 करोड रुपए डीएमएफ से मनमानी रूप में खर्च किए गए थे जिसकी जांच के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से जांच जारी है । डॉ धर्मवीर तिवारी ने कहा कि जिले में ऐसे बहुत सारे विकास के कार्य हैं जिसको कराया जाना प्राथमिकता के आधार पर अत्यंत जरूरी है । सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के वावजूद सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार तारीफ कर चुके हैं । मुख्यमंत्री ने तो सोनभद्र को स्विट्जरलैंड जैसा बनाने की सोच रहे है लेकिन यहां के अधिकारी उनके मनसूबे पर पानी फ़ेरने का काम कर रहे हैं। इस जिले में है लेकिन उसके बावजूद विजयगढ़ का किला हो या फॉसिल्स हो या अबाडी पिकनिक स्पॉट हो उसका समुचित विकास नहीं हो पाया सोनभद्र में प्रदूषण की समस्या अत्यंत विकराल स्वरूप ले रही है लेकिन उसके निस्तारण के लिए कोई बड़ी कार्य योजना नहीं तैयार की जा रही है जिस कारण दर्जनों गांव में विकलांगता हावी हो रही है डॉ धर्मवीर तिवारी ने कहा कि जनपद में सरेंडर किए हुए पैसे की जांच होनी चाहिए कितने बड़े पैमाने पर विकास के पैसे का उपयोग क्यों नहीं किया गया इसके जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।