यूपी की राजनीति में बन गए जरूरी

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Appointment letters distributed to 700 candidates, CM Yogi said, now appointments are being made according to merit, no recommendation needed
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बीजेपी और सपा दोनों की राजभर वोटों पर टिकी निगाह

लखनऊ,14 जुलाई 2023। यूपी की राजनीति में जाति का फैक्टर हमेशा से चला है। 80 लोकसभा वाले इस राज्य में राजभर समाज का वोटबैंक राजनितिक दलों के लिए जरूरी हो जाता है। सपा हो या भाजपा दोनों ही दल ओपी राजभर की सुभासपा यानि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से दोस्ती चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 12 प्रतिशत है जबकि पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर जाति की आबादी 12 से 22 फीसदी है। इसी वजह से राजभर वोटबैंक पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर 50 हजार से करीब ढाई लाख तक हैं। घोसी लोकसभा समेत बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही राजभर बहुल क्षेत्र माने जाते हैं। यहां हार और जीत का निर्णय राजभर समुदाय के लोग करते हैं। वाराणसी जिले में मजदूर सन्नू राजभर के घर जन्म हुआ।ओपी राजभर ने बनारस के बलदेव डिग्री कॉलेज से परास्नातक तक की पढ़ाई की।छात्र जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खर्च निकालने के लिए टेम्पो चलाया। कांशीराम से प्रभावित होकर साल 1981 में सक्रिय राजनीति में एंट्री की।2002 में बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी सुभासपा बनाई। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जहूराबाद से जीत दर्ज कर पहली बार मंत्री बनें। 2019 में भाजपा से अनबन के बाद गठबंधन तोड़ा। 2022 में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ फिर विधायक बनें । सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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