उन्नाव
जब 1975 में आपातकाल लगाया गया तब जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीन ली गई थी : पीएम मोदी
अत्याचारों के बावजूद लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बिल्कुल भी नहीं डगमगाया : पीएम मोदी
अंतरिक्ष क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में कई सुधार किए गए हैं : पीएम मोदी
अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र के लिए नए अवसरों को बढ़ावा देता है IN-SPACe : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में नदी बचाने के प्रयासों की सराहना करने के साथ ही पुडुचेरी में ‘जीवन के लिए पुनर्चक्रण’ मिशन की प्रशंसा की
आगे बढ़ रहे मानसून के साथ ही हमें जल संरक्षण के प्रयास शुरू कर देने चाहिए : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने उदयपुर में सुल्तान की बावरी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की प्रशंसा की
जिले में सभी 2656 बूथों पर सुना गया *मन की बात* कार्यक्रम
प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 89वें एपिसोड को मौरावां स्थित भाजपा कार्यालय में मुख्य अतिथि क्षेत्रीय उपाध्यक्ष शिवभूषण सिंह जिलाध्यक्ष अवधेश कटियार, विधायक अनिल सिंह, जिला उपाध्यक्ष महेश चंद्र दीक्षित, कृष्ण कुमार वर्मा, मन की बात कार्यक्रम के जिला संयोजक रजनीश वर्मा ब्लॉक प्रमुख सतीश चौधरी मंडल अध्यक्ष मौरावां अरुण प्रताप सिंह, आदि ने सुना मन की बात कार्यक्रम।
कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथि क्षेत्रीय उपाध्यक्ष शिवभूषण सिंह ने जिलाध्यक्ष अवधेश कटियार विधायक अनिल सिंह उपस्थित पदाधिकारियों के साथ वृक्षारोपण किया।
जिले में सभी जनप्रतिनिधियों जिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने सुना मन की बात।
प्रधानमंत्री जी ने अपने कार्यक्रम में की अपातकाल के दंश की चर्चा लेकिन, उससे पहले मैं आज की पीढ़ी के नौजवानों से, 24-25 साल के युवाओं से, एक सवाल पूछना चाहता हूँ और सवाल बहुत गंभीर है, और मेरे सवाल पर जरुर सोचिये | क्या आपको पता है कि आपके माता-पिता जब आपकी उम्र के थे तो एक बार उनसे जीवन का भी अधिकार छीन लिया गया था! आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? ये तो असंभव है | लेकिन मेरे नौजवान साथियो, हमारे देश में एक बार ऐसा हुआ था | ये बरसों पहले उन्नीस सौ पिचहत्तर की बात है | जून का वही समय था जब इमरजेंसी लगाई गई थी, आपातकाल लागू किया गया था | उसमें, देश के नागरिकों से सारे अधिकार छीन लिए गए थे | उसमें से एक अधिकार, संविधान के Article 21 के तहत सभी भारतीयों को मिला ‘Right to Life and Personal Liberty’ भी था | उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था | देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था | Censorship की ये हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था | मुझे याद है, तब मशहूर गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की वाह-वाही करने से इनकार किया तो उन पर बैन लगा दिया गया | रेडियो पर से उनकी entry ही हटा दी गई | लेकिन बहुत कोशिशों, हजारों गिरफ्तारियों, और लाखों लोगों पर अत्याचार के बाद भी, भारत के लोगों का, लोकतंत्र से विश्वास डिगा नहीं, रत्ती भर नहीं डिगा | भारत के हम लोगों में, सदियों से, जो लोकतंत्र के संस्कार चले आ रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना हमारी रग-रग में है आखिरकार जीत उसी की हुई | भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से ही emergency को हटाकर, वापस, लोकतंत्र की स्थापना की | तानाशाही की मानसिकता को, तानाशाही वृति-प्रवृत्ति को लोकतांत्रिक तरीके से पराजित करने का ऐसा उदाहरण पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है | Emergency के दौरान देशवासियों के संघर्ष का, गवाह रहने का, साझेदार रहने का, सौभाग्य, मुझे भी मिला था – लोकतंत्र के एक सैनिक के रूप में | आज, जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपातकाल के उस भयावह दौर को भी हमें कभी भी भूलना नहीं चाहिए | आने वाली पीढ़ियों को भी भूलना नहीं चाहिए | अमृत महोत्सव सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्ति की विजय गाथा ही नहीं, बल्कि, आज़ादी के बाद के 75 वर्षों की यात्रा भी समेटे हुए है | इतिहास के हर अहम पड़ाव से सीखते हुए ही हम आगे बढ़ते हैं |
अदित्य बाजपेई की रिपोर्ट