ब्यूरो चीफ राकेश मित्र जिला-कांकेर
1975 में देशवासियों पर थोपे गए आपातकाल से रूबरू होना बेहद जरूरी : सांसद भोजराज नाग
कांकेर: वर्ष 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन सरकार द्वारा सम्पूर्ण देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लगाया गया था। इसके 50 वर्ष पूर्ण होने पर आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाया गया। इस दौरान जिले के मीसाबंदियों के परिजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही आपातकाल पर परिचर्चा की गई। इस अवसर पर छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से 1975 के आपातकाल के दौर को रेखांकित किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद भोजराज नाग तथा विशिष्ट अतिथि कांकेर विधायक आशाराम नेताम, एवं जिला पंचायत अध्यक्ष किरण नरेटी उपस्थित थे।
जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि सांसद भोजराज नाग ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहां संविधान सर्वोपरि है उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन सरकार द्वारा देशवासियों पर अचानक थोपे गए आपातकाल के काले सच की सभी को जानकारी होना बेहद जरूरी है। 25 जून वह दिन है, जब लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या हुई थी। सत्ता के लालच में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी।उन्होंने जिले के मीसाबंदियों को श्रद्धांजलि देते हुए देश के संविधान का पालन एवं अनुसरण करने की बात कही, इस अवसर पर कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण नरेटी, नगरपालिका कांकेर के अध्यक्ष अरूण कौशिक तथा नागरिक महेश जैन ने भी 25 जून 1975 में लगाए गए आपातकाल पर आधारित परिचर्चा ‘संविधान की हत्या’ विषय पर अपने-अपने विचार प्रकट किए, आपातकाल के दौरान पिता 19 महीने तक जेल में रहे शर्मा दिवस’ का आ मीसाबंदी स्व. रामप्रेम दुबे की पुत्री सुमन शर्मा ने बताया कि वह सिर्फ ढाई साल की थीं जब उनके पिता को मीसा एक्ट के तहत बंदी बनाया गया। शर्मा ने बताया कि उनके पिता को मीसा एक्ट के तहत 19 माह तक जेल में रहे। उल्लेखनीय है कि जिले में मीसा एक्ट के तहत कुल चार लोगों को बंदी बनाया गया था, जिनमें स्व. त्रिलोक सिंह, स्व. स्वदेश रंजन गुहा, स्व. मुरलीधर वर्मा तथा स्व. रामप्रेम दुबे शामिल थे। कार्यक्रम में जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष तारा ठाकुर, सहित काफी संख्या में जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी-कर्मचारी व महिलाएं उपस्थित थीं।