केशव साहू डोंगरगढ़ से
डोंगरगढ़ स्थित प्रसिद्ध माँ बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के चुनाव से पहले आदिवासी समाज द्वारा 50% आरक्षण की माँग ने चुनावी हलचल पैदा कर दी है।
सर्व आदिवासी समाज का कहना है कि माँ बम्लेश्वरी देवी गोंड समाज की आराध्य देवी हैं, और वर्षों से उनके परिवार मंदिर में पूजा, सेवा और परंपराओं को निभाते आ रहे हैं। इसके बावजूद आज तक मंदिर ट्रस्ट में उनकी कोई भी हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं की गई, जिसे वे अन्याय मानते हैं।
आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस बार ट्रस्ट में आधिकारिक रूप से 50% आरक्षण नहीं दिया गया, तो वे 20 जुलाई को बड़ा जन आंदोलन करेंगे। यह माँग अब न केवल धार्मिक पहचान से जुड़ी है, बल्कि सामाजिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर भी केंद्रित होती जा रही है। गौरतलब है कि माँ बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट चुनाव पहले से ही एक हाई-प्रोफाइल मुकाबला माना जा रहा है, जिसमें राजनीतिक प्रतिष्ठा, सामाजिक प्रभाव और करोड़ों रुपये के संभावित खर्च की चर्चाएं चल रही हैं। इस पृष्ठभूमि में आदिवासी समाज की सक्रियता ने चुनावी समीकरणों को हिलाकर रख दिया है।सूत्रों के मुताबिक, चुनावी मैदान में उतरे दोनों पैनलों के बीच अब इस आरक्षण माँग को लेकर अंदरखाने मंथन जारी है। कोई भी पक्ष खुलकर बोलने से बच रहा है, लेकिन आदिवासी समुदाय की एकजुटता और रणनीति को नजरअंदाज कर पाना अब किसी भी पैनल के लिए आसान नहीं होगा।
यदि मतदान के दिन आदिवासी समाज ने सामूहिक निर्णय और रणनीति अपनाई, तो यह पूरा चुनाव परिणाम प्रभावित कर सकता है — और संभवतः ट्रस्ट की भविष्य की संरचना में भी बड़ा बदलाव ला सकता है।
बहरहाल अब सबकी निगाहें प्रशासन, जिला कलेक्टर और ट्रस्ट समिति पर टिकी हुई हैं। क्या वे इस संवेदनशील माँग को सामाजिक न्याय के नजरिए से देखेंगे, या मामला विरोध और टकराव की ओर बढ़ेगा — यह आने वाला समय बताएगा।