सीनियर पत्रकार – अर्नब शर्मा
गुवाहाटी, असम: केंद्रीय पोत, जलमार्ग एवं बंदरगाह मंत्री सरबानंद सोनोवाल ने कहा कि ऐतिहासिक असम आंदोलन को अब नए निर्मित ‘शहीद स्मारक क्षेत्र और पार्क’ में साकार रूप दिया गया है, और इसकी आत्मा आज भी असम को अपनी पहचान, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा के संकल्प में मार्गदर्शन करती है।
इस भव्य स्मारक की आधारशिला 10 दिसंबर 2019 को रखी गई थी, और आज शहीद दिवस के अवसर पर इसका औपचारिक उद्घाटन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा ने सोनोवाल के साथ स्मारक को जनता को समर्पित किया और असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सोनोवाल ने कहा कि आंदोलन के शहीदों का अतुलनीय त्याग सदैव आने वाली पीढ़ियों को असम की भूमि, भाषा, संस्कृति और पहचान की रक्षा करते हुए राष्ट्र-निर्माण में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा। कार्यक्रम में मंत्री अतुल बोरा, चंद्रमोहन पटोवरी, केशब महंता, सांसद बिजुली कालिता मेधी, कई विधायक, शहीद परिवार और गणमान्य लोग उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि असम आंदोलन भाषा, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए लड़ा गया ऐतिहासिक जनसंघर्ष था। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने असमिया समाज को एकजुट कर राष्ट्रीय मुद्दे से जोड़ा, और इसकी भावना आज भी एक अटूट संकल्प के रूप में जीवित है। उन्होंने 860 शहीदों को नमन किया और उन सैकड़ों लोगों को याद किया जिन्होंने संघर्ष के दौरान अत्याचार झेले।
सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवैध घुसपैठ—जो असम आंदोलन का मूल मुद्दा था—को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। उन्होंने सितंबर 2016 में दक्षिण सलमारा–मинкуचर क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा कर शरणार्थी और सीमा सुरक्षा स्थितियों का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया था।
उन्होंने सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों का उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं:
— दिसंबर 2016 में शहीद परिवारों को ₹5 लाख की एकमुश्त सहायता
— आंदोलन में घायल या उत्पीड़ित लोगों को ₹2 लाख की सहायता
— 2019 में ढुबरी सीमा पर Bold-QIT तकनीक का सफल क्रियान्वयन
— 272 किमी अनफेंस्ड सीमा को सील करने की प्रक्रिया में तेजी
— असम समझौते के क्लॉज 6 के समाधान हेतु न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार शर्मा समिति का गठन एवं रिपोर्ट (फ़रवरी 2020)
सोनोवाल ने कहा, “असम आंदोलन केवल इतिहास का अध्याय नहीं है; यह हमारी पहचान और अधिकारों की चेतना है। गहरी प्रतिबद्धता और भावनाओं के साथ हम एक नए, सुरक्षित और विकसित असम के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं। आंदोलन की विरासत राष्ट्रीय एकता, अखंडता और राज्य के भविष्य को सुरक्षित करने में दूरगामी भूमिका निभाती रहेगी।”