ग्लोबल वार्मिंग पर करना है प्रहार, तो जैविक खेती ही एकमात्र उपचार
गजानंद शर्मा इंडियन टीवी
विश्व जल दिवस के अवसर पर कृषि क्षेत्र में बढ़ते हुए रासायनिक के प्रयोग से पानी की बर्बादी को रोकने के लिए आज एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया कहा जाता है कि, जल है तो कल है, जल दिव्य है, इसकी पूजा इसका सम्मान हमारी पहली एवं मूलभूत आवश्यकता है इसी चिंता को साकार करने के लिए एल पी एस विकास संस्थान के निदेशक व प्राकृतिक प्रेमी श्री राम भरोस मीणा ने किसानों को जैविक खेती की महत्वता को इंगित करते हुए किसानों को एक एक किलो वर्म वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए निशुल्क उपलब्ध कराने की बात कही है, उन्होंने कहा कि आज यदि प्रकृति, मानव व जीव जंतुओं को बचाना है तो जैविक खेती के माध्यम से किसान का इस कड़ी में सबसे अधिक योगदान होगा आज की आवश्यकता है कि उद्योगपति व सरकार किसानों को इस कार्य हेतु प्रोत्साहित करें मीणा ने क्षेत्र में गिरते हुए जल स्तर पर चिंता जताते हुए बताया कि किसान अपनी फसल के साथ-साथ पेड़ पौधे लगाकर घटते हुए जल स्तर व मृदा के अपरदन को रोकने में अहम भूमिका साबित कर सकेगा तथा खेतों को कृषि योग्य बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी।