चौमुखनाथ धाम में लगेगा बसंत पंचमी का भब्य मेला
सलेहा श्रेत्र का सबसे बड़ा मेला बसंत पंचमी पर
बसंत पंचमी के दिन होती है सरस्वती पूजा
सलेहा / चौमुखनाथ धाम में बसंत पंचमी पर सबसे बड़ा मेला लगता है वैसे तो शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है मगर बसंत पंचमी के दिन चौमुखनाथ धाम में विशेष मेले का आयोजन होता है यह सलेहा श्रेत्र का वर्ष का सबसे बड़ा मेला लगता है बसंत पंचमी के दिन हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु भगवान शिव का जला अभिषेक के साथ पूजा अर्चना कर धर्म लाभ लेते हैं और मेले में पहुंच कर ख़रीद फरोक कर अन्दित होते हैं
*इस साल कब है वसंत पंचमी, जानें सरस्वती पूजा विधि*
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विषेश पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है।
पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विषेश पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2024 में सरस्वती पूजा यानी वसंत पंचमी की तिथि, पूजा का मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि…
वसंत पंचमी 2024 की तिथि
पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
वसंत पंचमी की पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें।
आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें।
फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।