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उमरिया। ग्राम पंचायत कोहका 47 ग्राम डोगरगवां में घटिया सामग्री से हो रहा नाली निर्माण, सरपंच-सचिव मौन।

ग्राम पंचायत कोहका 47 ग्राम डोगरगवां में घटिया सामग्री से हो रहा नाली निर्माण, सरपंच-सचिव मौन।

लोकेशन उमरिया मध्य प्रदेश

रिपोर्टर विजय कुमार यादव

घटिया रेता से बन रही नाली
उमरिया जनपद पंचायत करकेली ग्राम पंचायत कोहका 47 ग्राम डोंगरगवा मानकों की अनदेखी और भ्रष्टाचार का नजारा देखना है तो कही जाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए बस जिले की बांधवगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत कोहका 47 में ही जाना होगा। जहां कराए जा रहे नाली निर्माण में जमकर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। खुलेआम नालों का रेता व घटिया किस्म के बने मसालों से नाली निर्माण किया जा रहा है। जिम्मेदार मामले से अनजान बने हुए है।
मामला, बांधवगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोहका 47 का है। जहां डोंगरगवा में मनरेगा के तहत मानक के विपरीत पक्की नाली का निर्माण कराया जा रहा है। नाली निर्माण में नियम कानून को ताख पर रहकर मानक विहीन और घटिया सामग्री से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। जिसमे नालों का रेता, बालू और खराब सीमेंट व जुड़ाई में मानकों के विपरीत मसाले का भी प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में यह नाली कितने दिन चलेगी, यह भगवान ही जाने। सवाल यह उठता है कि सरकार बड़े बड़े दावे करती है कि हम अच्छे बजट से गावों का विकास करा रहे हैं। लेकिन वहीं सरपंच-सचिव पानी में डुबो रहे है। मजे की बात यह भी है कि निर्माण कार्य स्थल पर किसी भी प्रकार से कोई सूचना बोर्ड नही लगाया गया है। जबकि शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि निर्माण कार्य स्थल पर कार्य प्रारंभ होने से पूर्व नागरिक सूचना बोर्ड लगाया जाय, ताकि आम जनता को पता चल सके कि शासन ने किस काम के लिये कितनी धनराशि आवंटित की है। किंतु ग्राम पंचायत में हो रहे किसी भी कार्यो में यह बोर्ड पहले नही लगाया जाता है। जिससे सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास की धनराशि आम जनता को नही पता चल पाती और ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारियों तक धन का बंदरबांट अपने मनमानी तरीके से कर लिया जाता है। इस संबंध में जब ग्राम प्रधान गीता राय, ग्राम पंचायत सचिव बीरभद्र से बात किए तो अभद्रता पूर्ण बात सामने आया है।
गांव वालों से बात की गई तो सभी ने बताया कि नाली निर्माण कितने लागत से हो रहा है और कितनी धनराशि नाली के लिये स्वीकृत है इसकी जानकारी गांव वालों को नहीं है।

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