रिपोर्टर – पवन सिंह धाकड़
मुरैना | मध्यप्रदेश के हर जिले की हर ग्राम पंचायत में शासन के द्वारा एक गौशाला निर्माण कराया गया था गौ माताओं की देखरेख के लिए जिससे की गौ माता भूखी प्यासी न मरे लेकिन सब धरा का धरा रह गया क्योंकि प्रत्येक गौशाला शासन की नजर में तो सुचारू रूप से संचालित है जिनके लिए प्रत्येक गौ के हिसाब से दाना और धन आ रहा है फिर भी गौ माता आवारा और भूखी फिर रही है क्यों क्योंकि गौ माता के दाने और धन को सरपंच और सचिव खा रहे हैं वैसे देखा जाए तो केवल मुरैना जिले में ग्राम पंचायत धूरकूड़ा एवं मां जगत जननी की नगरी बहरारा जागीर में बहुत बड़ी बड़ी गौशालाएं निर्मित हैं लेकिन संचालित नहीं हैं इसी तरह प्रदेश की हर ग्राम पंचायत की कुछ एक गौशाला ही संचालित हैं वो भी एक या दो समूहों की निगरानी में अगर प्रत्येक गौशाला नियमित संचालित हों तो एक भी गौमाता और गौवंश आवारा और भूखे नहीं मरेंगे और गौ मांस की तस्करी भी बंद होगी एवं सही पालन पोषण होने से गौ माताऐं आवारा नहीं फिरेंगी तो किसानों की फसल को नुकसान होना बंद होगा किसान की परेशानी खत्म होगी लेकिन चोरों से कुछ बच पाए तब तो गौमाता के पेट में चारा पानी जाए हर ग्राम पंचायत में रपटा ,पुलिया ,cc खरंजा आदि निर्माण कार्य चल रहे हैं लेकिन सब धांधली है सब कार्य इंजीनियर्स और सचिवों आदि को घूस देकर कागजों में कार्य पूर्ति दिखाई जाती है,इस प्रकार देखा जाए तो अगर सरकारी धन का दुर्पयोग न किया जाए तो हर ग्राम पंचायत को स्मार्ट ग्राम पंचायत बनने में वक्त नहीं लगेगा जिससे शिक्षा ,स्वास्थ्य,रोजगार सब में सुधार आएगा । अगर हम सभी कार्यों के लिए सरकार के भरोसे बैठेंगे तो देश तरक्की कैसे करेगा क्या देश के लिए हमारा कोई कर्तव्य नहीं है क्या हमारा काम केवल पक्ष विपक्ष खेलना रह गया है क्या हमारा काम केवल रोजगार और महंगाई नाम के रटाए गए संगीत को गाने का रह गया है हम रोजगार के लिए बैठे रहेंगे 4 ,5 वर्ष लेकिन अगर उन्ही 5 वर्षों को हम खुद मेहनत करके अपना छोटा व्यवसाय बनाते तो आज उसी व्यवसाय से औरों को रोजगार मिल रहा होता लेकिन नहीं हर काम के लिए सरकार जिम्मेदार है ………