
कबीर धर्म नगर दामों खेड़ा से नवोदय वंशाचार्य परम पूज्य पंथ श्री हजूर उदित मुनि नाम साहेब का आगमन राजस्थान में होने जा रही है यात्रा राजस्थान
स्थान राजस्थान
सभी कबीरपंथी समाज को यह जानकर खुशी होगी कि आपके राजस्थान में वंश गद्दी दामाखेड़ा के पंत श्री श्री हजूर उदित मुनि नाम साहेब 16 वंश का राजस्थान का भाग्य उदय होने जा रहा है यात्रा होने जा रही हैं 23 जुलाई 2024 से 15 अगस्त 2024 तक आरंभ रहेगी इस यात्रा के कबीर नवोदय यात्रा का अर्थ है सदगुरु कबीर साहब की शिक्षाओं के नए उदय का सफर कबीर नवोदय यात्रा सिर्फ भौतिक यात्रा नहीं बल्कि आंतरिक या आदित्यामिक यात्रा भी हैं यह शब्द विकास और खोज की प्रक्रिया को भी दर्शाता है यह विशेष रूप से कबीरपंथी युवाओं के बीच जाकर उनमें भक्ति और ज्ञान का नया उदय करने का लक्ष्य हैं और कबीर पंथ को मजबूत करने का केंद्रत हैं यह यात्रा हमें अपने अंदर झांकने का समाज को समझने और एक बेहतरीन कल के निर्माण में योगदान करने की प्रेरणा देगा यह यात्रा सदगुरु कबीर साहब की शिक्षाओं के नए दृष्टिकोण से देखने और उन्हें वर्तमान समय में लागू करने का प्रयास रहेगा यह एक नए आध्यात्मिक जागरण की शुरुआत का संकेत देता है जो कबीर साहब के विचारों से प्रेरित रहेंगे मैं आपको सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बता दूं कि वंश श्री उदित मुनि हजूर साहिब का आगमन जोधपुर के आसपास शहरों में होने जा रहा हैं तथा बाड़मेर जिला वही जालौर जिला जाने का प्रयास रहेगा इस यात्रा का कबीर पंथ के युवाओं को जगाने का कार्य किया जानकारी के अनुसार मैं आपको बता दूं कि वंश उदित मुनि नाम साहेब के द्वारा जान तीर्थ स्थल जाम सदगुरु कबीर साहेब का मंदिर या आश्रम बना है वहां आरती पूजन भी होगा उनके कर कमल द्वारा राजस्थान के भाग्य उदय होने का अवसर आ चुका है कबीर पंथ समाज जगाने का अवसर मिला है 29जुलाई को पंत श्री जूर उदित मुनि नाम साहेब का आगमन रात्रि सरपंच फार्म चामुंडी कल तिजारा अलवर में होगा समस्त राजस्थान के कबीरपंथी चांद दर्शन बंदगी वह सद्गुरु के भोजन प्रसादी व भंडारे का लाभ अवश्य लें
भक्ति प्रभाव मीट्टी शक्ल धर्मदास की पीर कोटी जन्म के पुण्य से सदगुरु मिले कबीर
सतगुरु मिले जु सब मिले, न तो मिला न कोय। मात-पिता सुत बांधवा, ये तो घर घर होय ।।
यदि सद्गुरु मिल गए तो मानो सब कुछ मिल गया, फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा। यदि सद्गुरु नहीं मिले तो समझो कुछ नहीं मिला, क्योंकि माता-पिता, पुत्र और भाई तो घर-घर में होते हैं। ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ हैं, परंतु सद्गुरु की प्राप्ति दुर्लभ है।
इंडियन टीवी न्यूज़ रिपोर्टर भोला दास भील रामपुरा