
रिपोर्टर एस एस एन अलवर (इन्डियन टीवी न्यूज़)
झुंझुनूं में अजय सिंह से पहले उनके दादा और मामा भी शहीद हो चुके हैं।
राजस्थान। झुंझुनूं में एक गांव ऐसा भी है, जहां तीन हजार की आबादी में 300 सेना के जवान और 500 से अधिक रिटायर्ड फौजी है। यहां हर घर में फौजी है। भगवान की तरह शहीद की प्रतिमा को पूजा जाता है। इसी कारण इसे फौजियों का गांव कहा जाता है। यह गांव है बुहाना का भैसावत कलां। इस गांव के रहने वाले दादा के बाद अब पोते ने शहादत दी।
गांव के युवाओं को पूर्व फौजी यहीं प्रेरणा देते हैं कि नौकरी के साथ देश सेवा का मौका मिले, तो इससे बड़ी गौरव की बात दूसरी नहीं हो सकती। यहां फौजी बनना नौकरी नहीं, बल्कि एक परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। इसे आज भी शिद्दत से निभाया जाता है।
जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी मुठभेड़ में झुंझुनूं जिले के दो बेटे बिजेंद्र सिंह और अजय सिंह नरूका शहीद हो गए थे। शहीद बिजेंद्र सिंह दौराता झुंझुनूं के सिंघाना थाना इलाके के खुबा की ढाणी (डुमोली कलां) के रहने वाले थे और अजय सिंह नरूका भैसावता कलां के रहने वाले थे। अजय सिंह नरूका से पहले उनके दादा ने 2021 में शहादत दी थी। बुधवार को शहीद की पार्थिव देह गांव पहुंचीं तो सभी की आंखें नम हो गईं।