अम्रत तालाब मे जहर, घोल रहे अधिकारी

अम्रत तालाब मे जहर, घोल रहे अधिकारी

38 लाख रुपये का बंन्टाढार कर मौज उडा रहे नोखेलाल ?
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विनोद तिवारी पत्रकार

लोकेशन ब्यौहारी

शहडोल जिले के ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र मे
वहुउद्देश्यीय अम्रत तालाब सरोवरो की योजना भी नकारा और अनुभव हीन संविदा उपयंत्रियो के लापरवाही के कारण ध्वस्त होती जा रही है
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार मे ऐ योजना गढी जा कर जमीन मे उतारी गई थी लेकिन ब्यौहारी क्षेत्र का सर्वविदित भ्रष्टाचार हर योजना मे परवान चढ
रहा है जिससे सरकारी धन तो खर्च हो रहा है पर उसका लाभ धरातल के जीवधारियो को नही मिल पा रहा है ।

ऐ था योजना का उद्देश्य :–
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इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछली पालन सिचाई सहित गाव और गरीबो तथा पशु पक्षियो को हर हाल मे पानी उपलब्ध कराना था लेकिन नियम कायदो को ताक पर रखकर ग्राम पंचायत से जिला पंचायत तक बडे स्तर पर हुऐ भ्रष्टाचार के करतूतो ने शासन की महत्वपूर्ण योजना मे पलीता लगाकर रख दिया है जानकारो की माने तो क्षेत्र मे निर्माणाधीन आधा दर्जन अम्रत तालाबो के निर्माण मे कम, जहर घोलने मे ज्यादा दिमाक ख़र्च करने वाले कार्यपालन यंत्री और सहयोगी सब इन्जीनियर मालामाल हो गए और बहुउद्देशीय योजना का बंन्टाढार हो गया ।

38 लाख का हुआ मर्डर, पर आ गई फार्चूनर
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मऊ ग्राम ब्यौहारी का नजदीकी और महत्वपूर्ण गाव और ग्राम पंचायत है यहा एक बडा जलाशय भी पहले से निर्मित है लेकिन सिचाई मे पर्याप्त जल नही मिलने के कारण तत्कालीन जिला सीईओ हिमाशु और तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती वंन्दना वैद्य ने मऊ मे भी अम्रत तालाब बनाने का निर्णय लिया था और 38 लाख रुपये स्वीक्रत भी किऐ लेकिन रसूखदार सरपंच सचिव और लोकायुक्त के पूर्व संन्देही संविदा उपयंत्री नोखेलाल गुप्ता ने उच्चाधिकारियो से साठगांठ करके मनमानी पूर्वक नियम कायदो को ताक पर रखकर कराया पटल से मेढ तक
निर्माण मे रुचि नही ली और 38 लाख का मर्डर कर दिया खबरे है कि योजना के मानीटरिंग करने वाले अब फार्चूनर जैसे महगे गाडियो के मालिक भी हो गए है ।

जाबकार्ड मजदूरो का और काम हुआ मशीनो से
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उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा एक साल मे एक मजदूर को मनरेगा योजना के अंन्तर्गत 90 से 1सौ दिनो का काम पंचायतो के जरिए देती है ताकि रोजगार के अभाव मे मजदूर पलायन ना करे लेकिन आप जानकर हैरान रह जाऐगे कि
मऊ के अम्रत तालाब निर्माण कार्य मे हाजिरी तो मजदूरो के नाम पर उनके जाब कार्ड भरे गऐ
लेकिन सारा काम बडी बडी मशीनो के जरिए कराया गया ।

यहा हुआ घोटाला, खोदा ही नही गया नाला :
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मस्टररोल के अलावा यदि कही सबसे ज्यादा घोटाला हुआ है तो पटल खुदाई और पटाई मे ही हुआ है कार्य से जुडे लोगो का कहना है कि उपयंत्री नोखेलाल गुप्ता द्वारा मात्र 1 मीटर पटल की खुदाई की गई उसमे भी काली मिट्टी नही पाटी गई और ना ही मानीटरिंग की गई लोगो के बार बार कहने पर भी विचार नही किया गया परिणामस्वरूप 38 लाख रुपये का बंटाधार हो गया और पानी की आस लगाऐ बैठे ग्रामीणो का सपना चूर चूर हो गया ।

ग्राम पंचायत से जिला पंचायत तक भ्रष्टाचार मे मशगूल है साहबान ?
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ग्रामीणो का आरोप है कि ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर जिला पंचायत के जिम्मेवार अधिकारी तक ना सिर्फ नदी तालाबो मे बल्कि पंचायतो के तमाम योजनाओ मे हो रहे भ्रष्टाचार मे मशगूल है इसीलिए यह फर्जीवाडा थमने का नाम नही ले रहा है ।

बडे पैमाने पर उठ रही कार्यवाही की मांग
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पंचायत के ना सिर्फ कच्चे काम बल्कि पक्के निर्माण कार्यो की फजीहत हो रही है सरकार के खजाने को ऐन केन प्रकारेण लूटा जा रहा है गौरतलब है कि मऊ का अम्रत तालाब बानगी है यहा बेडरा मैरटोला सहित आधा दर्जन अमृत तालाबो पर निरंकुश भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी जिला पंचायत के मोटे छाव मे ऐस कर रहे है और फल फूल रहे है इन हालातो मे क्षेत्र की जनता जिले के कलेक्टर कमिश्नर से समिति गठित कर जाच कार्यवाही की मुखरता से माग कर रही है ।

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