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ब्यूरो चीफ. करन भास्कर चन्दौली उत्तर प्रदेश
चन्दौली /वाराणसी में रामनगर की प्रसिद्ध रामलीला को लेकर पात्रों का चयन हो गया है। रामलीला में लगातार तीसरी बार चंदौली के ‘राम’ होंगे। 2022 में चंदौली के गौरव उपाध्याय और 2023 में दीपक पांडेय ने श्रीराम की भूमिका निभाई थी। वहीं इस बार अथर्व पांडेय को राम बनाया जाएगा। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में लगातार तीसरी बार चंदौली के राम होंगे। 223 वर्ष पुरानी रामलीला में यह पहला अवसर है, जब एक ही जिले के बालक लगातार तीसरी बार रामलीला के प्रमुख पात्र श्रीराम की भूमिका निभाएंगे। 2022 में चंदौली के धानापुर निवासी गौरव उपाध्याय और 2023 में नियामताबाद के दीपक पांडेय ने श्रीराम की भूमिका निभाई थी। अब 2024 की रामलीला के लिए चहनिया ब्लॉक के मारुफपुर, सैदपुर निवासी अथर्व पांडेय का चयन किया गया है।वाराणसी के रामनगर की रामलीला यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल है। रामलीला की शुरुआत काशीराज उदित नारायण सिंह के शासनकाल में हुई थी। उदित नारायण सिंह का शासन काल 1796 से 1835 ईस्वी तक था।इस तरह से रामलीला की शुरुआत 18वीं सदी में मानी जाती है। रामनगर की रामलीला आज भी पंच लाइट की रोशनी में होती है। लाउडस्पीकर भी नहीं लगाया जाता। चुप रहो, सावधान… कहने मात्र से हजारों की भीड़ ऐसे शांत हो जाती है मानो वहां कोई है ही नहीं।
लीला के दौरान कई बार की चमत्कारिक घटनाएं होने के भी किस्से हैं। माना जाता है कि लीला में देवता भी आते हैं। इस रामलीला में श्रीराम की भूमिका के लिए चयन होना सौभाग्य से कम नहीं माना जाता। श्रीराम की भूमिका निभाने वाले बालक को लोग श्रीराम का स्वरूप मानते हैं। पिछले वर्ष सीता की भूमिका में थे इस बार के राम
रामनगर की रामलीला में पिछले तीन साल से चंदौली के बालक ही श्रीराम की भूमिका निभा रहे हैं। 2022 में राम की भूमिका चंदौली के धानापुर विकासखंड के नौघरा गांव निवासी गौरव उपाध्याय ने निभाई थी। चंदौली के ही दिव्यांशु चौवे को सीता की भूमिका और लक्ष्मण की भूमिका चंदौली के आदित्य पाठक को मिली थी।एक महीने तक तपस्वी जैसा जीवन जीते हैं पात्र
राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और जानकी के भूमिका के लिए पात्रों का चयन हर वर्ष 25-30 बालकों में से कठिन स्वर परीक्षा के बाद होता है। चयन के बाद एक महीने तक पात्रों को तपस्वी जैसा जीवन जीना पड़ता है। परिवार से अलग होकर कठोर अनुशासन के बीच प्रशिक्षण दिया जाता है। सादा भोजन और नंगे पांव रहना पड़ता है।