खबर सहारनपुर नगर निगम से जुड़ी
यूनिपोल को लेकर हो रहे बड़े खुलासे, 10 साल के लिए 2016 में की गई निविदा प्रक्रिया सन्देह के दायरे में, 17 जोन में बांटे गए निविदाओं के भंवर में कई सालों से की जा रही बंदरबाट से निगम को लाखो रुपये का लग रहा चूना, जीएसटी विभाग भी नही अछूता, बिना बिल के ओर कुछ मामलों में अंडर बिलिंग से प्रतिमाह राजस्व का लाखो का नुकसान: सूत्र
सहारनपुर: 2016 में नगर निगम में एक यूनिपोल के लिए एक निविदा आमंत्रित की गई जिसमें कार्यकाल 10 वर्ष, प्रत्येक 2 वर्ष बाद 20 प्रतिशत बढ़ाने का भी प्रावधान रखा गया, यही नही निविदा में जितने यूनिपोल ओर बाइपोल दिखाए गए उससे कही ज्यादा लगाए गए बताये जा रहे है सबसे बड़ी बात 8 साल से लगाये गए इन यूनिपोल का ढांचा इतना जर्जर हो चुका है कि किसी बड़े हादसे से इनकार नही किया जा सकता, यही नही महापौर ने निविदा प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया अब प्रश्न यह है कि किस आधार पर निविदाएं हुई और किस आधार पर यूनिपोल पर विज्ञापन लगाए जा रहे है सही मायनों में तो जनता की लुटाई हो रही है। फिलहाल इस पूरे प्रकरण में अब तक 15 से बीस व्यक्तियों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत नगर निगम और जीएसटी विभाग से जानकारी चाही गयी है और जो जानकारियां सूत्रों द्वारा निकल कर आ रही है वह चोकाने वाली है, यही नही कतिथ पत्रकारिता की आड़ में कितने यूनिपोल स्वीकृत है कितने लगाए, कितने बिल प्रतिमाह कटे उनका कितना जीएसटी लगा यह बड़े प्रश्न के साथ अपने आप मे बहुत संगीन है, बहरहाल कुछ समय तक गुजरात और देहरादून के प्रभाव में कार्य चला अब स्तिथि यह है कि जानकारियां धीरे धीरे सार्वजनिक होने के पश्चात लोकधन ओर राजस्व का नुकसान बड़ा नुकसान है, जनहित में अधिकारियो, ओर शासन को लिखे पत्र में इस यूनिपोल प्रकरण की जांच आवश्यक है। वही जिस यूनिपोल का एक माह का किराया 4 हजार से 5 हज़ार होना चाहिए उसका प्रतिमाह किराया 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह वसूला जा रहा है। नगर आयुक्त से भी आग्रह की मामले का संज्ञान लेकर पुरानी निविदा निरस्त कर नए सिरे से आज की दरों ओर निविदाएं आमंत्रित कराए ताकि राजस्व में बढ़ोतरी हो सके।
रिपोर्ट
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर
खबर नगर निगम और जीएसटी विभाग के सूत्रों पर आधारित
क्रमश: