रिपार्ट हरिपाल सिंह संवाददाता
मथुरा फरह। बुधवार की शाम को भजन संध्या में चित्र-विचित्र महाराज के भजन गायन से दीन दयाल धाम मेला में भक्ति की धारा बह निकली। श्रोता भजनों पर मंत्र मुग्ध होकर झूमते रहे। इस भक्ति धारा के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चार दिवसीय जन्मोत्सव मेला का समापन हुआ। भारतीय समाज से विलुप्त हो रही भारत की प्राचीन विद्या जिकड़ी भजन, रसिया दंगल लोक गायन और लोक नृत्य को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को जोड़ते हुए पुनर्जीवित करने का प्रयास मेला के माध्यम से हुआ। तो वही एक ओर राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका विषय पर गोष्ठी करवाकर नारी सशक्तिकरण को आगे बढ़ाया। जहां दूसरी ओर हवन, सुंदरकांड पाठ, भजन और आध्यात्मिक प्रवचन सभा से मेला में आध्यात्मिक गंगा बहती रही और को पूजन कार्यक्रम से लोगों को गोपालन और गौ सेवा के लिए प्रेरित किया गया। मेला में जहां संस्कारों की सरिता वही तो संस्कृति, कृषि और गांव संवर्धन की झलक भी दिखाई दी। चार दिवसीय मेला के दौरान लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने मेले का आनंद लिया। धाना खेमा निवासी क्षेत्रपाल शर्मा को जल सेवा देने के लिए मेला समिति द्वारा मंच से सम्मानित किया गया। मेला के आखिरी दिन की शाम चित्र विचित्र के भजनों पर श्रद्धालु तालिया के साथ भजनों का आनंद लेते रहे। भजन गायक चित्र विचित्र की जोड़ी ने भजनों की ऐसी तान छेड़ी कि दीनदयाल धाम पूरा झूम उठा। करतल ध्वनि के साथ राधे राधे, मेरी विनती यही है राधा रानी, कजरारे मोटे मोटे तेरे नैन, सांवरे को दिल में बसा कर तो देखो, भजनों की प्रस्तुति पूरा मेला पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। चित्र विचित्र की जोड़ी के भजनों पर पंडाल तालिया और राधे-राधे की गूंज से महकता रहा और मेला का वातावरण भक्तिमय हो गया। भजन संध्या का शुभारंभ मेला समिति अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा जी, मंत्री मनीष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र पाठक और प्रचारक डॉक्टर दिनेश ने किया। कार्यक्रम संयोजक आशीष महेश्वरी, पंकज शर्मा, मुरलीधर शर्मा, पी पी शर्मा द्वारा गायकों को स्मृति चिन्ह भेंट द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर निदेशक सोनपाल, अवधेश उपाध्याय, मुकेश शर्मा, महिपाल सिंह, जगमोहन पाठक, अशोक शर्मा, विक्रम चंद्र दुबे आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे.