सोनभद्र समाचार ब्यूरोचीफ नन्दगोपाल पाण्डेय
घोरावल (सोनभद्र)।शासन -प्रशासन की अनदेखी के चलते ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को किस तरह गुमराह कर उनका आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण विकास खंड घोरावल के तमाम ग्राम पंचायतों में देखा जा सकता है। मालूम हो कि यहां किस तरह खुले आम ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराने के लिए आए सरकारी धन का बंदरबांट हो रहा हैऔर शासन -प्रशासन के जिम्मेदार लोग मूक दर्शक बने हुए हैं। ग्रामीणों के शिक़ायत के बावजूद कोई कार्रवाई न होना यह संकेत करता है कि समूचा तंत्र भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं।उदाहरण स्वरूप ग्राम पंचायत कुसुम्हा में ग्राम प्रधान द्वारा आवास के नाम यह कह कर कि आवास न मिलने पर सभी का पैसा वापस कर दिया जाएगा।ऐसे में सैकड़ों ग्रामीणों से लाखों रुपए वसूले गए। किंतु धीरे- धीरे दो वर्ष बीतने को है न आवास मिला न रुपए वापस किए गए। इस सम्बन्ध में जब ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान से रुपए वापस करने की मांग किये तो पहले कहा गया कि अभी रुको आवास सभी को मिलेगा। किंतु इस पर ग्रामीणों को प्रधान की बातों पर भरोसा नहीं हुआ और आपना रूपए वापस करने की मांग करने लगे।इस पर ग्राम प्रधान कुसुम सिंह की सीधे -सीधे जबाब था कि मुझे भी अधिकारियों को कमिशन देना होता है, मेरे पास रुपए नहीं हैं।ऐसी परिस्थिति में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत किया तो भी किसी तरह की जनहित में कार्रवाई अभी तक नहीं हुई। अधिकारियों के यहां न्याय की गुहार लगाते -लगाते थक-हार कर बाद में उत्तर प्रदेश सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। किंतु ग्रामीणों ने बताया कि काफी दिन व्यतीत होने को है वहां से भी अब तक जनहित में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।जिसके कारण भुक्तभोगी ग्रामीणों में शासन -प्रशासन के गतिविधियों के प्रति असंतोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम सभी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे,जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन -प्रशासन की होगी।