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गोरखपुर में खगोल प्रेमियों ने खगोलीय दूरबीनों से ग्रह,उपग्रह, चांद आदि का किया दीदार

गोरखपुर। वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के प्रभारी/वरिष्ठ क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पाण्डेय के निर्देशन में एजुकेटर खगोल विज्ञान (खगोलविद) अमर पाल सिंह के साथ नक्षत्र शाला टीम ने नक्षत्र शाला कैंपस में विभिन्न खगोलीय दूरबीनों से निःशुल्क आकाश दर्शन का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम में दिन के दौरान विशेष सोलर टेलीस्कोप्स के माध्यम से दर्शकों ने सूर्य की सतह पर उपस्थित सोलर स्पॉट्स और वास्तविक सूर्य ( सूर्य एक सफ़ेद तारा है ) को देखकर के उसके बारे में अनेकों खगोलीय जानकारियां प्राप्त की इस दौरान खगोल विद अमर पाल सिंह द्वारा दर्शकों को संतुष्टि पूर्वक जवाब दिया गया और जिज्ञासाओं को भी शांत किया।

वहीं रात्रि आकाश दर्शन के तहत विभिन्न प्रकार की खगोलीय दूरबीनों से निःशुल्क चंद्र दर्शन के साथ ही ग्रहों, उपग्रहों सहित कई अन्य खगोलीय जानकारियों से भी विस्तारपूर्वक अवगत कराया गया। वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला ( तारामण्डल) गोरखपुर के एजुकेटर खगोल विज्ञान ( खगोलविद ) अमर पाल सिंह ने बताया कि दिनांक 17 अक्टूबर 2024 के पूर्ण चंद्र को सुपरमून कहा गया है। इसके अन्य नामों में से एक सुपर हंटर मून भी कहा जाता है और यह बर्ष 2024 का सबसे निकटतम पूर्ण सुपरमून रहा, जैसा कि नक्षत्र शाला द्वारा समय – समय पर आकाश में घटित होने वाली विभिन्न खगोलीय घटनाओं को नक्षत्र शाला निःशुल्क आयोजित करता है।

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि क्यों कहा जाता है इसे सुपर मून प्रथ्वी के सबसे करीब की पूर्णिमा को सुपर मून कहा जाता है, सुपरमून शब्द का सर्वप्रथम खगोलिकी की शब्दावली में इस्तेमाल प्रसिद्ध खगोल शास्त्री सर रिचर्ड नोले ने वर्ष 1979 में किया था। नोले की परिभाषा के अनुसार, सुपर मून पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों दिनों पर पड़ सकती है। पूर्णिमा और अमावस्या तब सुपरमून होती है जब वह पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु यानि पेरिगी के 90% के भीतर होती है। सुपरमून की स्थिति में चन्द्रमा अपने आकार से लगभग 14% बड़ा एवं 30% चमकीला नजर आता है। दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को रात्रि में 11:55 पर चंद्रमा पृथ्वी से सबसे करीब की स्थिति में 351519 किलोमीटर की दूरी पर था। अपोगी की स्थिति में यह दूरी दिनांक 30 अक्टूबर 2024 को 406161 किलोमीटर हो जाएगी।

इस बर्ष कितने सुपर मून हैं

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2024 में चार फुल मून/सुपरमून हैं जिसमे से यह तीसरा सुपरमून था। यह सुपर मून इस वर्ष का सबसे करीब का सुपरमून रहा।

ऐसा कैसे होता है

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि चंद्रमा की पृथ्वी के चारों तरफ एक अंडाकार (दीर्घवृताकार कक्षा) है । यह पूर्णतय: गोल नहीं है। जिसके फलस्वरूप चंद्रमा प्रत्येक माह एक बार पृथ्वी के सबसे निकट और एक बार पृथ्वी से सबसे दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है तो इस स्थिति को पेरिगी तथा जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है तो इस स्थिति को अपोगी की स्थिति कहते है। खगोलिकी में सुपरमून उस स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट हो और उसी समय पूर्णिमा भी हो।

वास्तव में सुपरमून को खगोलिकी में पेरिगी-सिज़ीगी मून कहा जाता है । सिज़ीगी की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में संरेखित हो जाते है

प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या सिज़ीगी की स्थिति में ही होती है , इस तरह का सुपर मून काफी ज्यादा प्रभावशाली होता है। सुपर मून की स्थिति में चन्द्रमा सामान्य से ज्यादा बड़ा प्रतीत होता है। चंद्रमा का व्यास लगभग 3475 किलोमीटर है।

पेरिगी की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 351,000 कि.मी. (220,000) मील तक पास हो सकता है, वहीं ऐपोगी के समय की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 410,000 कि.मी. (254,000 मील) तक दूर तक हो सकता है। क्योंकि चन्द्रमा लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है इसलिए वह हर महीने में दो बार इन स्थितियों से गुजरता है।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि

बर्ष 2024 में अगला सुपर मून 15 नवंबर 2024 को घटित होगा, जिस दौरान चन्द्रमा की दूरी पृथ्वी से 361,866 किलोमीटर होगी, नक्षत्र शाला में आयोजित किया गया इस डे और नाइट स्काई वॉचिंग कार्यक्रम के दौरान खगोल विद अमर पाल सिंह के साथ वेद प्रकाश पाण्डेय, योगेन्द मालिक , साहिर हसन, बबलू, राम घिसियावन, उबैश खान, गिरिजेश कुमार राय, इज़हार अली, शाह मुहम्मद आदि लोग मौजूद रहे।

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