महाराष्ट्र के कैदियों को कोरोना का डर:एलिजिबल हैं,

महाराष्ट्र के कैदियों को कोरोना का डर:एलिजिबल हैं, लेकिन जेल से बाहर नहीं आना चाहते, कुछ को डर- बाहर गए तो भूखे मर जाएंगे। 

मुंबई

महाराष्ट्र में संक्रमण के मामलों में लगातार कमी देखने को मिल रही है। हालांकि, तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए लोगों में अभी भी डर बना हुआ है। इसका एक बड़ा उदाहरण महाराष्ट्र की जेलों में बंद कैदियों में देखने को मिला।

पात्र होने के बावजूद कई कैदियों ने इमरजेंसी पैरोल के लिए आवेदन करने से इंकार कर दिया है। राज्य समिति की मई में हुई बैठक के दौरान यह बताया गया कि जेल में बंद ज्यादातर कैदी अस्थाई रिहाई (पैरोल) नहीं चाहते हैं।

उनमें से कुछ इस बात से चिंतित हैं कि कोविड लॉकडाउन के दौरान वे कैसे पेट पालेंगे। कुछ को डर है कि इस कठिन समय में वे अपने परिवारों पर बोझ बन जाएंगे। अन्य बस अपने जेल के समय को जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं। पिछले महीने, बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि किसी भी कैदी को उनकी इच्छा के बिना अस्थाई जमानत या आपातकालीन पैरोल पर रिहाई के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

 

 

 

परिवार पर बोझ बनने की जगह, जेल में रहकर पैसा कमाना चाहते हैं कैदी

एक जेल अधीक्षक ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘ओडिशा के रहने वाले और मुंबई की जेल में 30 साल की सजा काट रहे एक कैदी का कहना है कि वह बाहर नहीं जाना चाहता। उसे डर है कि संकट के समय में वह अपने परिवार पर बोझ बन जाएगा। ऐसे में वह जेल में रहकर काम कर पैसे कमाना चाहता है।’

आर्थिक तंगी के कारण एक कैदी ने किया समर्पण

कुछ महीने पहले आपातकालीन पैरोल पर रिहा हुए एक विचाराधीन कैदी ने पिछले महीने पश्चिमी महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया था। विदर्भ और महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में कैदियों के साथ काम करने वाले ‘वरहाद’ के संस्थापक-अध्यक्ष रवींद्र वैद्य ने कहा, “आत्मसमर्पण करने के बाद, उसने हमें अपनी मां के लिए वित्तीय मदद मांगी थी।”

कोरोना के डर की वजह से कैदियों को स्वीकार नहीं कर रहा परिवार

वैद्य ने बताया, ‘हमने 500 से अधिक कैदियों या उनके परिवारों को राशन दिया है। उनमें से कई को हाल ही में रिहा किया गया था और उनका परिवार पहले से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। हमें लगातार कैदियों के फोन आ रहे हैं। कई नौकरी की तलाश कर रहे हैं, कुछ को उनके परिवारों ने अपराध की प्रकृति के कारण स्वीकार नहीं किया है या कोविड के डर से अपने गांवों या घरों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है।’

 

 

 

कई कैदी कोरोना समाप्त हो जाने के बाद जेल लौटना चाहते हैं

जेल के एक अधिकारी ने बताया, ‘संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पिछले महीने 68 कैदियों को इमरजेंसी पैरोल पर रिहा किया गया था। पिछले साल मई में रिहा हुए कैदियों को अब वापस जेल में उनकी सजा पूरी करने के लिए बुलाया जा रहा है। इनमें से कई ऐसे हैं जो खुद ही सरेंडर कर जेल में वापस आना चाहते हैं। हालांकि, इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने महामारी के खतरे को देखते हुए महामारी कानून के समाप्त हो जाने के बाद जेल में लौटने की बात कही है।’

अस्थाई रिहाई की जगह पूर्ण रिहाई चाहते हैं कैदी

जिन कैदियों की सजा कुछ ही महीने बची है, उन्होंने भी आपातकालीन पैरोल के लिए आवेदन करने से इंकार कर दिया है। वे अस्थाई रिहाई की जगह जल्द पूर्ण रिहाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का तो अपना परिवार ही नहीं है। बाहर जाकर भटकने की जगह जेल में कम से कम उन्हें चिकित्सा सुविधा तो मिल जाएगी। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 4,049 कैदी और 912 जेल कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें से 13 कैदियों और 9 कर्मचारियों की मौत भी हुई है।

 

 

Bureau Chief- 

साकिब हुसैन 

 INDIAN TV NEWS

मुंबई

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