यमुना नगर जिले में स्ट्रीट डाग को लेकर आमजन बहुत दुखी

यमुना नगर से ब्यूरोचीफ संदीप गाँधी की रिपोर्ट

यमुना नगर जिले में स्ट्रीट डाग को लेकर आमजन बहुत दुखी ।

शहर की हर गली में पांच से दस कुत्तों ने डेरा जमाया हुआ है।

सबसे अधिक कुत्ते वार्ड नंबर 9,10,16, 20 व 21 में हैं।

एक अनुमान के अनुसार जिले भर में कम से कम 21500 से अधिक लावारिस कुत्ते हैं।

सबसे अधिक कुत्ते आने जाने वाले लोगों और छोटे-छोटे बच्चों पर झुंड में झपट पडते हैं जिससे वाहन चालकों का संतुलन बिगड़ जाता है।
और वे गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं।

इसी वर्ष अक्तूबर माह में वाघ बकरी चाय के 49 वर्षीय मालिक और CEO पराग देसाई ने सैर करते हुए कुत्तों के हमले में घायल होकर अपनी जान गंवाई है।
वे 15 दिन जायडस अस्पताल में वेंटिलेटर पर रहे। उनके इलाज पर करीब आधा करोड़ खर्च होने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

सिविल अस्पताल यमुनानगर और जगाधरी में डाॅग बाईट रोजाना कई-कई केस आ रहें हैं।
हालात ये हैं कि बहुत बार तो अस्पतालों में वैक्सीन तक खत्म हो जाती है।और लोंगों को दूसरे स्थानों पर जाकर टीके लगवाने पड़ते हैं।

ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों का परिदृश्य तो और बुरा है

वहाँ वैक्सीन के साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा भी नहीं मिलती । स्टाफ डाक्टर न होने की बात कह कर बड़े अस्पताल में जाने को कह देता है।

शहर के लोगों का यह भी कहना है कि यमुना नगर की एक खासियत यह भी है कि जिस कॉलोनी में प्रोफेसर अधिक हैं उस कालोनी का नाम प्रशासन ने प्रोफेसर कालोनी रखा है, जिसमें लेबर ज्यादा है उसका लेबर कॉलोनी, और जहां बैंक कर्मी अधिक रहते हैं उसे बैंक कॉलोनी का नाम दिया हुआ है।

अब उनका कहना है कि आजकल हमारे शहर में कुत्ते बहुत हो गए हैं और अब हमारे शहर का नाम भी बदल दिया जाए ।
वैसे भी देश भर में बहुत से जिलों के नाम बदले जा रहें हैं ।

जिस पावन यमुना नहर के नाम पर शहर बसा हुआ है वो नहर वैसे भी सीवरेज के पानी गिरने के कारण गंदा नाला बन चुकी है।
अतः अब जिले का नाम कुत्तों के नाम पर ही रख दिया जाए।

जब इस बारे में निगम अधिकारी चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के कारण कुत्तों को शहर से बाहर नहीं भेजा जा सकता ।
चाहे वे कितने ही नरभक्शी क्यों न हो गये हों, उन्हें नसबंदी का टीका लगा कर उसी गली में दोबारा छोड़ा जा सकता है कहीं और नहीं।

फिलहाल टीकों से 700 के लगभग कुत्तों की नसबंदी करने के लिए निविदा लगाई जा रही है।
आगे जरूरत पड़ने एवं फंड आने पर और विचार किया जाएगा।

गौरतलब है तीन वर्ष पहले भी कुत्तों को हरियाणा भर में 17 करोड़ की लागत से नसबंदी के टीके लगे थे ।

इन टीकों का परिणाम इतना शानदार रहा कि पूरे राज्य में कुत्ते 8 से 10 गुणा बढ़ गए।

यमुना नगर से ब्यूरो चीफ संदीप गाँधी की रिपोर्ट

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