
लाइसेंसी हथियार सिर्फ आत्मरक्षा की कानूनी परिभाषा..
खुशी का इजहार करने के नाम पर भी गोलियां व कई बार विवाह समारोह में ही मातम पसर..!
भारतीय समाज में विवाह समारोह के दौरान दिखावे की प्रवृत्ति इस कदर बढ़ती गई है अब उसमें हिंसक प्रवृत्तियों का भी खुल कर प्रदर्शन किया जाने लगा है! शादी समारोह के मौके पर बंदूक और राइफल से गोली दाग कर खुशी का इजहार करने का यह कौन-सा तरीका है जिसमें किसी बेकसूर की जान चली जाए! सवाल है कि विवाह के अवसर पर हथियार लेकर चलने की परंपरा के पीछे कौन- सी मानसिकता काम करती है!इस बात को किसी तर्क पर ठीक माना जा सकता है कि कोई व्यक्ति कानून के दायरे में अपनी आत्मरक्षा का हवाला देकर कोई हथियार रखता है।मगर लोग खुशी का इजहार करने के नाम पर भी गोलियां दाग रहे हैं और उससे कई बार विवाह समारोह में ही मातम पसर जाता है तो उससे किसको खुशी मिल सकती है? दिक्कत यह है कि गोलीबारी में वधू या वर पक्ष के करीबी लोगों के शामिल होने के कारण कई बार मामले को कानूनी अंजाम तक नहीं पहुंचने दिया जाता है!लाइसेंसी हथियार सिर्फ आत्मरक्षा की कानूनी परिभाषा के तहत रखने की छूट है, लेकिन आज यह दिखावे का औजार बनता जा रहा है!कई लोग शान बघारने या दबंगई दिखाने के लिए ऐसे मौके पर हथियार लेकर आते हैं! जबकि अकारण हवा में गोली चलाना अपराध है और इसके लिए सजा भी हो सकती है!देश के कई इलाकों में खुशी मौके पर हवा में गोलियां चलाना शान का प्रदर्शन माना जाता रहा है लेकिन इसके पीछे कहीं न कहीं लोगों के भीतर छिपी सामंती कुंठा होती है! शादी-ब्याह में रिश्तेदार ही दिखावे के लिए गोलियां दागने लगें तो समझा जा सकता है कि हमारे समाज में यह कुंठा कितनी गहरी हो चुकी है!दिखावे की हिंसा की ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़